कानपुर, संवाददाता : दो वर्ष पहले ग्राम पंचायतों को 222 तालाबों को अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य मिला था । 125 सरोवर तैयार कर लिए गए और कागजों में लबालब पानी भी भरा दिखा दिया गया। हकीकत में ज्यादातर तालाब सूखे पड़े हैं। पिछली वर्षा का थोड़ा-बहुत पानी इन तालाबों में भरा। इसके बाद पंचायतों की ओर से ध्यान ही नहीं दिया गया। अब जब केंद्र सरकार की ओर से अमृत सरोवरों की फोटो मांगी गई तो हड़कंप मच गया। गुपचुप तरीके से तालाबों में पानी भरवाया जा रहा।
जिले की 590 ग्राम पंचायतों में अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य है। दो साल पूर्व 222 सरोवरों को तैयार करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। इसमें से करीब आधे तैयार तो कर लिए गए, लेकिन काम के नाम पर खिलवाड़ किया गया है। किसी में पाथ-वे नहीं बना तो किसी की बाउंड्री। ज्यादातर तालाब बस मिट्टी खोदकर छोड़ दिए गए हैं। इन तालाबों को तैयार करने में आकार के हिसाब से प्रति तालाब 25 से 40 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। ये काम मनरेगा के तहत करवाए गए हैं।
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय के निर्देश के बाद सोये अफसर जागे
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय ने जिले में तैयार अमृत सरोवरों के फोटो एक सप्ताह पहले ऑनलाइन अपलोड करने के निर्देश दिए थे। फिर क्या, दो वर्ष तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे अफसरों ने अब भागदौड़ शुरू कर दी है। तैयार 125 सरोवरों में पानी भराने का कार्य कराया जाने लगा है ।
भीतरगांव ब्लॉक : तालाब में पानी नहीं, बड़ी-बड़ी घास खड़ी है
भीतरगांव ब्लॉक के रार ग्राम पंचायत संडौली गांव में बना अमृत सरोवर सूखा पड़ा है। पाथ-वे तो है लेकिन न तो बेंच बनी हैं और न ही पौधे बचे हैं। तालाब में घास खड़ी है।
चौबेपुर ब्लॉक : इंदलपुर और सहजोरा गांव का तालाब भी सूखे
चौबेपुर ब्लॉक के सहजोरा और इंदलपुर गांव में सरोवर बना तो दिए गए हैं। इंदलपुर जुगराज का सरोवर तो अच्छा तैयार किया गया, लेकिन पानी नहीं हैं। सहजोरा गांव का सरोवर भी सूखा पड़ा है। आसपास बड़ी-बड़ी घास खड़ी है। पाथ-वे चलने लायक नहीं है।
सरोवरों में लगातार पानी भरने के निर्देश दिए जा रहे हैं। कई तालाबों में पानी भराया गया है। आदेश के बाद भी लापरवाही की गई तो जिम्मेदारों के खिलाफ कार्रवाई होगी। -सुधीर कुमार, सीडीओ