भारत में S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की आ सकती है नई खेप

S-400

नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : वायुसेना प्रमुख एयरचीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शुक्रवार को स्पष्ट संकेत दिया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान जबरदस्त प्रदर्शन के मद्देनजर भारत एस-400 एयर डिफेंस मिसाइल प्रणालियों का रूस से अतिरिक्त बैच खरीद सकता है।

सूत्रों का कहना है कि प्रस्तावित खरीद पर दिसंबर में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा के दौरान बातचीत हो सकती है। भारत ने अक्टूबर, 2018 में रूस से एस-400 की पांच प्रणालियां खरीदने का समझौता किया था और इनमें से तीन की आपूर्ति हो चुकी है।

एस-400 अच्छी हथियार प्रणाली है- वायुसेना प्रमुख

वायुसेना प्रमुख ने सालाना प्रेस कांन्फ्रेंस में कहा, ”एस-400 अच्छी हथियार प्रणाली है। जाहिर है इससे अच्छा परिणाम मिला। इसलिए ऐसी और प्रणालियों की जरूरत है। आप कितनी भी खरीद सकते हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है। मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगा कि योजना क्या है, क्या हम और खरीदना चाहते हैं, कितना खरीदना चाहते हैं, आदि।”

हमारी अपनी प्रणाली भी विकसित हो रही है- वायुसेना प्रमुख
उन्होंने कहा, ”हमारी अपनी प्रणाली भी विकसित हो रही है। इसलिए हम इस पर फैसला लेंगे।” एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तीनों सेनाओं ने स्वदेशी ‘सुदर्शन चक्र’ वायु रक्षा प्रणाली पर काम शुरू कर दिया है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 15 अगस्त को महत्वपूर्ण सैन्य व नागरिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और किसी भी दुश्मन के खतरे का निर्णायक जवाब देने के लिए स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित करने की परियोजना की घोषणा की थी।

प्रतिवर्ष लड़ाकू विमानों सहित 35 से 40 नए विमानों की आवश्यकता
एयरचीफ मार्शल ने बताया कि वायुसेना ने रोडमैप-2047 के तहत अपनी लड़ाकू क्षमताओं का विस्तार करने की योजना को अंतिम रूप दे दिया है और वायुसेना को अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए अगले दो दशकों तक प्रतिवर्ष लड़ाकू विमानों सहित 35 से 40 नए विमानों की आवश्यकता होगी।

वायुसेना की 114 बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान खरीदने की महत्वाकांक्षी योजना पर सिंह ने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान विकल्पों में से एक है और मध्यम बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (एमएमआरसीए) कार्यक्रम के मूल्यांकन के दौरान यह विमान सबसे उपयुक्त पाया गया था।

एक विकल्प एसयू-57 भी है। उन्होंने यह भी कहा कि उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए) की पहली उड़ान 2028 के आसपास होने की उम्मीद है और इसे 2035 तक वायुसेना में शामिल कर लिया जाएगा।

ड्रोन युद्ध का भविष्य हैं, मानवयुक्त विमान नहीं

अमेरिकी उद्योगपति एलन मस्क के हालिया बयान, ”ड्रोन युद्ध का भविष्य हैं, मानवयुक्त विमान नहीं” को खारिज करते हुए सिंह ने कहा, ‘इस समय दुनिया में तीन-चार बड़े कार्यक्रम चल रहे हैं, जिन्हें छठी पीढ़ी का विमान कार्यक्रम, यूएस नेक्स्ट जेनरेशन एयर डोमिनेंस (एनजीएडी) या अन्य अलग-अलग नाम दिए जा रहे हैं। ये सभी मानवयुक्त हैं। मैं देख सकता हूं, निकट भविष्य में भी मनुष्य का महत्व कम नहीं होने वाला है।’

ऑपरेशन सिंदूर पर सिंह ने यह भी कहा कि दुनिया को भारत से सीखना चाहिए कि किसी भी संघर्ष को कैसे शुरू किया जाए और जल्द से जल्द कैसे समाप्त किया जाए। हम देख रहे हैं कि दुनिया में क्या हो रहा है, दो युद्ध चल रहे हैं, लेकिन उन्हें समाप्त करने पर कोई बात नहीं हो रही।

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