महाकुंभ नगर, संवाददाता : भूले भटकों के शिविर ने 79 साल में भोपू से एआई का सफर तय किया। कुंभ और माघ मेले के दौरान भटके हुए लोगों को परिजनों से मिलाने के लिए दो संस्थाएं काम कर रहीं हैं।
कुंभ में भूले भटकों को परिवार से मिलाने में पिछले आठ दशक से दो संस्थाएं काम कर रही हैं। 79 साल पहले माघ मेले के दौरान भटके लोगों को मिलाने का जो काम भोपू के सहारे आरंभ हुआ था, वह इस कुंभ में एआई तक पहुंच चुका।
भूले-भटके शिविर के जरिए अब तक 14 लाख से अधिक लोगों को उनके परिवार के साथ मिलाया जा चुका है। वर्ष 1946 से पहले यहां आकर भटक जाने वालों को मिलाने का कोई उपाय नहीं था।
भारत सेवा दल के अध्यक्ष उमेश चंद्र तिवारी बताते हैं कि 1946 में उनके पिता राजाराम तिवारी स्नान करने प्रयाग आए थे। एक बुजुर्ग महिला अपने परिजनों से भटक गई। राजाराम ने उस महिला को परिजनों से मिला दिया।
इसके बाद पांडेय जी के हाता से भारत सेवा दल की नींव पड़ी। दूसरे दिन से राजाराम अपने साथियों के साथ मेला में भटके लोगों को परिजनों से मिलाने की मुहिम में जुट गए। शुरुआत में भोपू (लाउडस्पीकर) ही सहारा बना।
उसी से आवाज लगाकर वह भटके लोगों को उनके परिवार से मिलवाते थे। इसके बाद से यह सिलसिला आरंभ हो गया। उमेश चंद्र के मुताबिक, 79 साल से लगातार यह शिविर लग रहा है। वर्ष 2016 में राजाराम तिवारी की मृत्यु के बाद उनके चारों पुत्र इस काम को आगे बढ़ा रहे हैं।
अब उनकी तीसरी पीढ़ी इस काम में जुटी है। उमेश बताते हैं कि इतने सालों में करीब 14 लाख महिला एवं पुरुषों को मिलाया गया।
700 से अधिक श्रद्धालु भटके
12 साल पहले कुंभ में करीब पांच हजार लोग शिविर तक पहुंचते थे लेकिन, इस दफा संख्या में गिरावट आई है। दो स्नान पर्व बीतने के बाद अभी तक 700 लोग भटककर दोनों शिविरों तक पहुंचे। मोबाइल की सुविधा होने से अब गुमशुदा लोगों को मिलाने में आसानी होती है।
कुंभ की भगदड़ के बाद आरंभ हुआ विशेष शिविर
हेमवती नंदन बहुगुणा स्मृति संस्था खास तौर से मेले में भटकी महिला एवं बच्चों को मिलाने का काम करता है। संस्था प्रबंधक शेखर बहुगुणा के मुताबिक, वर्ष 1954 कुंभ के दौरान मची भगदड़ के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चे लापता हो गए।
इनको परिवार से मिलाने के लिए इंदिरा गांधी के कहने पर संस्था की शुरुआत हुई। उस दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं एवं बच्चों को उनके परिवार से मिलाया गया। उसके बाद से कमला बहुगुणा की अगुवाई में संस्था लगातार काम करती रही। अभी तक वर्ष 2019 में सबसे अधिक 35 हजार गुमशुदा महिला एवं बच्चों को परिवार से मिलाया गया।