नई दिल्ली , डिजिटल डेस्क : ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन द्वारा बनाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े बांध के जवाब में भारत ने भी जलविद्युत परियोजना शुरू करने का फैसला किया है। इस परियोजना के तहत ब्रह्मपुत्र घाटी से 65 गीगावाट जलविद्युत का उत्पादन किया जाएगा। इस परियोजना पर 6.42 लाख करोड़ रुपये की लागत आएगी।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा तैयार मास्टर प्लान में कहा गया है कि 2035 तक 12 उप-बेसिनों से बिजली निकालने के लिए 10 हजार सीकेएम ट्रांसमिशन लाइन की स्थापना की आवश्यकता होगी। इस योजना में पूर्वोत्तर राज्यों की 208 बड़ी पनबिजली परियोजनाएं शामिल होंगी।
ऊर्जा सचिव ने क्या बताया?
ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस नाते ऊर्जा की बढ़ती मांग को पूरा करने और दीर्घकालिक ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हमें ऐसे ऊर्जा स्त्रोत विकसित करने होंगे, जो टिकाऊ, किफायती और विश्वसनीय हों। जल विद्युत का उपयोग न केवल नवीकरणीय बिजली के एक प्रमुख स्त्रोत के रूप में, बल्कि एक अत्यधिक लचीले संसाधन के रूप में भी महत्वपूर्ण है। यह नवीकरणीय और पारंपरिक ऊर्जा स्त्रोतों का एकीकरण करेगा।
बनाई गई ट्रांसमिशन प्रणाली की योजना
ब्रह्मपुत्र घाटी में पर्याप्त जलविद्युत क्षमता को देखते हुए यह महसूस किया गया कि इस अनुमानित क्षमता से बिजली उत्पादन के लिए एक व्यापक ट्रांसमिशन प्रणाली की आवश्यकता है। परिणामस्वरूप एक ट्रांसमिशन प्रणाली की योजना बनाई गई है। मास्टर प्लान में पंप स्टोरेज प्लांट की 11,130 मेगावाट जलविद्युत क्षमता को अंतर-राज्यीय ट्रांसमिशन प्रणाली में एकीकृत करने का भी प्रस्ताव है।