कानपुर, संवाददाता : कानपुर के एम ब्लॉक किदवईनगर निवासी डॉ. विवेक मिश्रा को मनी लांड्रिंग प्रकरण में परिवार सहित जेल भेजने का भय दिखाकर 30.50 लाख की साइबर ठगी के प्रकरण में साइबर क्राइम पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने पुलिस की जांच को भटकाने के लिए दस बार अलग-अलग बैंक खातों में रकम को ट्रांसफर किया था।
कानपुर पुलिस ने आईसीआईसीआई बैंक के जिस अकाउंट में पैसे ट्रांसफ किये गए , उसे तत्काल डेबिट फ्रीज करा दिया। इसके साथ ही आईसीआईसीआई बैंक से जिन 10 अलग-अलग बैंक खातों में धनराशि को ट्रांसफर किया गया, उन सभी को भी फ्रीज कराते हुए पूरे 30.50 लाख रुपये बैंकों में सुरक्षित करा दिए। अब इन आरोपियों की गिरफ्तारी के साथ पुलिस ने उनके दूसरे साथियों की तलाश कर रही है। इसके साथ ही पीड़ित के रुपये वापस कराने की भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
ऐसे पहुंची पुलिस ठगों तक
साइबर थाना के प्रभारी हरमीत सिंह ने बताया कि जांच में पता चला कि ठगी की रकम को ट्रांसफर कराने के लिए साइबर ठगों ने कानपुर के फेडरल बैंक की अशोकनगर शाखा में ऑनलाइन खाता खोला था। खाते में मोबाइल नंबर व दस्तावेजों से ललितपुर के चौनपाना निवासी आदित्य बग्गन का नाम सामने आया।
दोस्त के साथ करता है ट्रेडिंग
आदित्य से पूछताछ में पता चला , तो ज्ञात हुआ कि झांसी के बबीना निवासी अमन प्रताप सिंह ने उस ने ऑनलाइन बाइनेन्स एप पर डॉलर में ऑनलाइन ट्रेडिंग के लिए खाता खुलवाया था और अमन अपने फोन से ही इस खाते को ऑपरेट किया करता था। पुलिस ने अमर को पकड़ा , तो उसने बताया कि वह अपने झांसी के लालनपुरा मोठ निवासी दोस्त मनोज साहू के साथ ट्रेडिंग करता है।
डाक्टर मिश्र के खातों से आई रकम को आपस में बांट लिया
पुलिस ने मनोज से पूछताछ की, तो मनोज ने बताया कि 17 नवंबर को उसने करीब ढाई लाख रुपये के ऑनलाइन डॉलर बेचे थे , जिन्हें पश्चिम बंगाल के हुगली निवासी फ्राइस्टर आकाश शा ने खरीदा था। जांच में यह तय हो गया कि आरोपियों ने पीड़ित के खातों से आई रकम को आपस में बांटा। ऐसे में सभी के खिलाफ धोखाधड़ी व आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई की गई