J&K : दूसरे देशों से कमाकर जम्मू-कश्मीर वालों ने घर भेजे 4,000 करोड़

J&K-NEWS

जम्मू, संवाददाता : दूसरे देशों में जाकर कमा रहे जम्मू-कश्मीर वालों ने वर्ष 2023-24 में घरवालों को करीब 4,000 करोड़ रुपये भेजे। यह रकम देशभर में आए कुल रेमिटेंस का 0.4 फीसदी है।वर्ष 2020-21 के मुकाबले इसमें करीब 100 फीसदी का इजाफा हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी किए गए आंकडों में यह जानकारी सामने आई है। रेमिटेंस प्राप्त करने के मामले में जम्मू-कश्मीर हिमाचल प्रदेश, असम और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से आगे है।

2023-24 में देश को रेमिटेंस के रूप में कुल 118.7 बिलियन अमेरिकी डाॅलर प्राप्त हुए। इसमें जम्मू-कश्मीर का हिस्सा 0.4 फीसदी है। पूरे वर्ष मेंं डाॅलर के मुकाबले रुपये की दर का औसत लगाएं तो यह राशि करीब 4,000 करोड़ रुपये बैठती है। वर्ष 2020-21 में देश में 87 बिलियन अमेरिकी डाॅलर रेमिटेंस के रूप में मिले।

जम्मू-कश्मीर का हिस्सा 0.3 फीसदी था

इसमें जम्मू-कश्मीर का हिस्सा 0.3 फीसदी था। रुपये की दर के औसत से यह राशि करीब 2,000 करोड़ रुपये है। इस हिसाब से तीन वर्षों में जम्मू-कश्मीर में आने वाले रेमिटेंस में करीब 100 फीसदी का इजाफा हुआ है। वहीं, 2016-17 में प्रदेश की देश में आए रेमिटेंस में 0.2 फीसदी हिस्सेदारी थी।

रेमिटेंस प्राप्त करने में दक्षिण के राज्य आगेदेश में आए रेमिटेंस में हिस्सेदारी की बात करें तो सबसे ज्यादा राशि महाराष्ट्र को मिली। महाराष्ट्र को कुल रेमिटेंस की 20.5 फीसदी राशि प्राप्त हुई। इसकेे बाद केरल को 19.7 फीसदी, तमिलनाडु को 10.4 फीसदी, तेलंगाना को 8.1 फीसदी और आंध्र प्रदेश को 4.4 फीसदी राशि प्राप्त हुई।

इसी तरह उन देशों की बात करें जहां से देश में सबसे ज्यादा रेमिटेंस आया तो इस मामले में अमेरिका सबसे ऊपर है। कुल रेमिटेंस का 27.7 फीसदी अमेरिका से आया। इसकेे बाद यूएई से 19.2 फीसदी, यूके से 10.8 फीसदी, सऊदी अरब से 6.7 और सिंगापुर से 6.6 फीसदी राशि प्राप्त हुई।

जानिए, क्या होता है रेमिटेंसरेमिटेंस का मतलब उस धन से होता है, जो कोई व्यक्ति अपने देश से बाहर किसी और देश में काम करके अपने घर या परिवार वालों को भेजता है। इसे विदेशी मुद्रा प्रेषण या धन प्रेषण भी कहते हैं। यह पैसा बैंक, मनी ट्रांसफर एजेंसी (जैसे वेस्टर्न यूनियन) या डिजिटल पेमेंट सिस्टम से भेजा जाता है।

भारत दुनिया के उन देशों में से एक है, जहां विदेशों से सबसे ज्यादा रेमिटेंस आता है। हजारों भारतीय खाड़ी देशों (सऊदी अरब, यूएई, कतर), अमेरिका, यूरोप और अन्य देशों में काम करते हैं और हर साल अरबों डॉलर भारत भेजते हैं। इससे न केवल उनके परिवार की मदद होती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलती है।

India’s cricketers will score 200 against New Zealand Designs of Mehendi for Karwa Chauth in 2024 Indian Women’s T20 World Cup Qualifiers Simple Fitness Advice for the Holidays Top 5 Business Schools in the World