प्रयागराज , संवाददाता : इलाहाबाद हाईकोर्ट में डूंगरपुर प्रकरण में सपा नेता आजम खां की ओर से दाखिल अपील में जमानत पर बहस पूरी हो गई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। न्यायमूर्ति समीर जैन की एकल पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। वरिष्ठ अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने दलील दी कि याची के खिलाफ एफआईआर घटना के तीन साल बाद दर्ज की गई है।
शिकायतकर्ता की ओर से डूंगरपुर में जिस स्थान पर उसका मकान तोड़ने का दावा किया जा रहा है, वहां नहीं था। साथ ही इस पूरे प्रकरण में कोई भी ऐसा साक्ष्य नहीं आया जिसमें यह साबित हो कि आजम घटना के समय मौके पर थे। वहीं, अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने दलील दी कि मुकदमा देरी से दर्ज कराने पर ध्यान नहीं दिया चाहिए। अपीलकर्ता का आपराधिक इतिहास है। अन्य दलीलों के साथ जमानत का विरोध किया।
डूंगरपुर प्रकरण में अबरार ने आजम पर दर्ज कराया था मुकदमा
डूंगरपुर प्रकरण में अबरार ने अगस्त-2019 में रामपुर के गंज थाने में आजम खां, सेवानिवृत्त सीओ आले हसन खां और ठेकेदार बरकत अली समेत तीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया था कि दिसंबर-2016 में तीनों आरोपियों ने उसके साथ मारपीट, घर में तोड़फोड़, जान से मारने की धमकी दी थी। वहीं, डूंगरपुर बस्ती को खाली कराने के नाम पर वहां रहने वाले लोगों ने लूटपाट, चोरी, मारपीट सहित अन्य धाराओं में रामपुर के गंज थाने में 12 मुकदमे दर्ज कराए थे। रामपुर एमपी/एमएलए कोर्ट ने 30 मई 2024 को आजम खां को डूंगरपुर प्रकरण में 10 साल की सजा सुनाई है। ठेकेदार बरकत अली को सात साल की सजा सुनाई गई है। इस आदेश के खिलाफ आजम खां अपील दाखिल करते हुए जमानत की गुहार लगाई है।