जम्मू, संवाददाता : विश्व के सबसे ऊंचे रेलवे आर्च ब्रिज (Arch Bridge) पर ट्रेन दौड़ाने का सपना पूरा होने के निकट है। सब कुछ ठीक- ठाक तो रियासी से इस पुल से होते हुए कश्मीर तक ट्रेन की यात्रा का सपना 15 अगस्त तक पूर्ण हो सकता है। इसके लिए सुरक्षा ट्रायल लगभग पूर्ण हो चुके हैं।
नवीन रेलवे स्टेशन पर हो चुकी तैयारी
रियासी में बने नवीन रेलवे स्टेशन पर तैयारी पूरी हो चुकी है। बस अब रेल मंत्रालय से हरी झंडी मिलने की प्रतीक्षा है। उम्मीद है कि शीघ्र घोषणा हो सकती है। इस सेवा के आरम्भ होने से यात्री रियासी से कश्मीर के बारामुला तक का सफर आराम से कर सकेंगे। इस सन्दर्भ में तैयारियां लगभग पूर्ण हो चुकी हैं। यह परियोजना सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल परियोजना का भाग है। इसका ज्यादातर भाग पूर्ण हो चुका है।
संगलदान स्टेशन तक ट्रेन का संचालन शुरू
बारामुला से श्रीगनर होते हुए जम्मू संभाग के रामबन जिले के संगलदान स्टेशन तक ट्रेन का संचालन शुरू कर दिया गया है। पिछले माह जम्मू संभाग के बनिहाल के संगलदान से रियासी के बीच आठ कोच वाली ट्रेन का सफलतापूर्वक परीक्षण ट्रायल पूर्ण हो चुका है। सभी ट्रायल रेलवे सुरक्षा आयुक्त दिनेश चंद देशवाल की उपस्थिति में किये गया।
उसके बाद कटड़ा से रियासी के बीच 17 किलोमीटर की दूरी पर कार्य चल रहा है। इस हिस्से का ज्यादातर कार्य पूरा हो चुका है। इसी वर्ष कश्मीर रेलमार्ग से पूरी तरह से देश से जुड़ जाएगा। आशा है कि ट्रेन सेवा लोगों और वस्तुओं की आसान आवाजाही की सुविधा प्रदान करके सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलेगा।
अहम है यह परियोजना
ऊधमपुर-श्रीनगर-बारामुला रेल लिंक परियोजना सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। बनिहाल से श्रीनगर होते हुए बारामुला तक रेल संपर्क का कार्य पहले ही पूर्ण हो चुका है और ट्रेनों का संचालन हो रहा है।
बनिहाल से कटड़ा तक रेल मार्ग पहुंचाना बहुत ही कठिन कार्य था। यह उच्च पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण पूरे रास्ते में पहाड़ और नदियां और नाले पड़ते हैं। इंजीनियरों के सामने विकट चुनौती थी, लेकिन हर चुनौती को पार कर ऐसी मिसाल कायम कर दी कि पूरी दुनिया वाह-वाह कर रही है।
सबसे ऊंचा आर्च ब्रिज
चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा आर्च पुल का निर्माण किया गया है। करीब 1300 मीटर का यह पुल इंजीनियरिंग की मिसाल है। यह पुल 250 किलोमीटरप्रति घंटा की गति से चलने वाली हवाओं और भूकंप के बड़े झटकों का सामना करने में सक्षम है। चिनाब के तल से इसकी ऊंचाई 359 मीटर है।