MahaKumbh 2025 : एक लाख सनातनियों तक पहुंचेगी हिंदू आचार संहिता

MAHAKUMBH-2025

महाकुंभ, संवाददाता : पहली बार एक लाख सनातनियों में हिंदू आचार संहिता होगी। काशी के विद्वानों द्वारा तैयार आचार संहिता पर शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और संतों की मुहर लगने के बाद इसे लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

मौनी अमावस्या के बाद संत सम्मेलन में विहिप इसे सार्वजनिक करेगा। 15 वर्षों तक धर्मग्रंथों के अध्ययन के बाद काशी विद्वत परिषद की टीम ने इसे तैयार किया है। तीन सौ पृष्ठों की आचार संहिता में हिंदू समाज की कुरीतियों के साथ ही विवाह की व्यवस्था पर भी विधान तय किया गया है।

विश्व हिंदू परिषद के संत सम्मेलन में इसे देश भर के संतों के सामने लोकार्पित किया जाएगा। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि 351 साल बाद हिंदू समाज के लिए आचार संहिता तैयार की गई है।

11 साल वैचारिक और चार साल धर्मग्रंथों के अध्ययन के बाद काशी विद्वत परिषद के साथ मिलकर देशभर के विद्वानों की टीम ने इसको तैयार किया है। 25 जनवरी से होने वाले संत सम्मेलन में शंकराचार्य, महामंडलेश्वर और संत इस पर अपनी अंतिम मुहर लगाकर हिंदू आचार संहिता को स्वीकार करने का आग्रह देश की जनता से करेंगे।

मौनी अमावस्या के बाद महाकुंभ में वितरण के लिए पहली बार एक लाख प्रतियां हिंदू आचार संहिता की छापी जाएंगी। इसके बाद देश में 11 हजार प्रतियों का वितरण किया जाएगा।

स्मृतियों और पुराणों को बनाया गया आधार, 40 बार हुई बैठक

हिंदू आचार संहिता को कर्म और कर्तव्य प्रधान बनाया गया है। मनु स्मृति, पराशर स्मृति और देवल स्मृति को भी आधार बनाकर स्मृतियों के साथ ही भागवत गीता, रामायण, महाभारत और पुराणों के प्रमुख अंशों को शामिल किया है। 70 विद्वानों की 11 टीम और तीन उप टीम बनाई गई थी। हर टीम में उत्तर और दक्षिण के 5-5 विद्वान थे। 40 बार की बैठक के बाद आचार संहिता का अंतिम स्वरूप तैयार किया गया।

विवाह में फिजूलखर्ची, अंतिम संस्कार और महिलाओं पर हैं नियम
काशी विद्वत परिषद के महामंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी ने बताया कि मनु, पाराशर और देवल स्मृति के बाद 351 वर्षों से हिंदू आचार संहिता का ना तो निर्माण हुआ और ना ही संशोधन। नई संहिता में मृतक भोज की संख्या को भी तय किया गया है। शादियों की फिजूलखर्ची को रोकने के साथ ही दिन में विवाह को वैदिक परंपरा के अनुसार करने का निर्देश दिया गया है। विवाह में कन्यादान के अलावा दहेज को पूरी तरह से निषेध करने की बात कही गई है।

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