नई दिल्ली, डिजिटल डेस्क : एलन मस्क दुनिया के सबसे अमीर शख्स हैं। टेस्ला और स्पेसएक्स जैसी कंपनियों के मालिक मस्क ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हाथ थामकर राजनीति में कदम रखा, लेकिन उनकी सियासी पारी ज़्यादा लंबी नहीं चली। ट्रंप के साथ उनकी नजदीकियाँ, दूरियों में बदलीं और वह वापस कारोबारी दुनिया में लौट आए। हालांकि सियासत की छोटी सी पारी उन्हें कई सबक सिखाने के साथ एक बड़ा जख्म भी दे गई है।
येल यूनिवर्सिटी ने दिखाई सच्चाई
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने मस्क को डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी का प्रमुख बनाया था, जिसका काम सरकार की फिजूलखर्ची कम करना था। इस दौरान मस्क ने कई ऐसे बयान भी दिए, जिससे उनके खिलाफ माहौल तैयार हो गया। मस्क को सबक सिखाने के लिए लोगों ने टेस्ला का बहिष्कार शुरू कर दिया। अमेरिका के साथ-साथ ब्रिटेन मे भी मस्क के खिलाफ प्रदर्शन हुए और टेस्ला की बिक्री गिरती चली गई। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार येल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्रियों द्वारा तैयार नेशनल ब्यूरो ऑफ इकनॉमिक रिसर्च के एक वर्किंग पेपर में राजनीति के चक्कर में मस्क को हुए नुकसान का ज़िक्र किया गया है।
तो बेहतर होते हालात…
इस वर्किंग पेपर में यह भी कहा गया है कि अगर मस्क की राजनीति के खिलाफ लोगों में गुस्सा नहीं होता, तो टेस्ला की बिक्री के आंकड़े काफी बेहतर होते। अक्टूबर 2022 से अप्रैल 2025 के बीच टेस्ला की अमेरिका में बिक्री 67% से 83% ज़्यादा हो सकती थी। यानी कि करीब 10 लाख से 12.6 लाख अतिरिक्त वाहनों की बिक्री। येल यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्रियों के अनुसार अमेरिकी प्रशासन में मस्क की भूमिका ने टेस्ला को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाया है, जबकि उसकी प्रतिद्वंद्वी इलेक्ट्रिक कार कंपनियों को फायदा मिल है।
