मोहाली, संवाददाता : पंजाब के तरनतारन में वर्ष 1993 में हुए फर्जी एनकाउंटर मामले में पीड़ित परिवारों को 32 साल बाद न्याय मिला है।
मोहाली स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाते हुए पंजाब पुलिस के पूर्व एसएसपी भूपिंदरजीत सिंह, पूर्व डीएसपी दविंदर सिंह, पूर्व इंस्पेक्टर सूबा सिंह, पूर्व एएसआइ गुलबर्ग सिंह और पूर्व एएसआइ रघुबीर सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
एक अगस्त को दोषी करार
इन पांचों को अदालत ने एक अगस्त को दोषी करार दे (Tarantaran Fake Encounter Verdict) दिया था और सोमवार को इनकी सजा पर फैसला हुआ। इन्हें अदालत ने आइपीसी की धारा 302 (हत्या) और 120-बी (आपराधिक साजिश) के तहत दोषी मानते हुए सजा सुनाई।
32 साल पहले तरनतारन में सात युवकों की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने इनकी हत्या को मुठभेड़ दिखाने की कोशिश की थी। सीबीआई के मुताबिक यह एन्काउंटर फर्जी था। मारे गए लोगों को पुलिस ने अवैध रूप से हिरासत में लिया और उनकी गोलियां मारकर हत्या कर दी।
इस केस में शुरुआत में 10 पुलिस अधिकारियों को आरोपित बनाया गया था, लेकिन ट्रायल के दौरान पांच की मौत हो गई। इसके बाद पांच पर केस चला।
इन्हें लगा युवकों को आतंकवादी बता देंगे
मोहाली सीबीआई कोर्ट ने 117 पन्नों की जजमेंट में कहा कि पंजाब उस समय जिस अशांत दौर से गुजर रहा था, उसमें दोषी पुलिसकर्मियों को शायद यह भ्रम था कि वे आसानी से इन युवकों को आतंकी बता देंगे और कोई सवाल नहीं उठाएगा। उन्हें यह कल्पना भी नहीं रही होगी कि एक दिन सच्चाई सामने आ जाएगी।
अदालत ने 12 दिसंबर 1996 को एक याचिका पर आदेश दिया कि सीबीआई उन मामलों की जांच करे जिनमें पुलिस ने शवों का अंतिम संस्कार ‘लावारिस’ बताकर कर दिया था। इसके बाद इन मामलों की जांच सीबीआई तक पहुंची।
सजा पाने वाले एक दोषी की उम्र 83 साल l
भूपिंदरजीत सिंह, उम्र 61 वर्ष, तत्कालीन डीएसपी, गोइंदवाल साहिब तरनतारन (रिटायर्ड एसएसपी)l
देविंदर सिंह, उम्र 58 साल, तत्कालीन एएसआइ, थाना सरहाली, तरनतारन (रिटायर्ड डीएसपी) l
गुलबर्ग सिंह, उम्र 72 साल, तत्कालीन एएसआइ, थाना सरहाली, तरनतारन l
सूबा सिंह, उम्र 83 साल, तत्कालीन एसएचओ थाना वीरोवाल, तरनतारन l
रघुबीर सिंह, उम्र 63 साल, तत्कालीन एएसआइ, थाना वीरोवाल, तरनतारन