नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : राज कपूर को यूं ही हिंदी सिनेमा का शो मैन नहीं बोला जाता है। जब वह कैमरे के सामने एक्टिंग करते थे तो अपने किरदार में पूरी तरह से डूब जाते थे। ऐसे ही जब वह निर्देशक की कुर्सी पर बैठे होते थे तो जब तक उन्हें एक परफेक्ट शॉट नहीं मिलता था, तब तक न तो वह खुद सेट से जाते और न हीअभिनेता का पैकअप होने देते थे। अपनी ऑडियंस को एक से बढ़कर एक फिल्में और गाने देने वाले राज कपूर की आज सबसे यादगार फिल्मों में से एक ‘मेरा नाम जोकर है’।
आज के समय में इंडियन सिनेमा की क्लासिक कल्ट फिल्मों में से एक ‘मेरा नाम जोकर’ वर्ष 1970 की सबसे बड़ी फ्लॉप में शुमार थी। इस फिल्म को बनाने में एक या दो नहीं, बल्कि पूरे छह साल लगे थे। ये राज कपूर का ड्रीम प्रोजेक्ट था। क्या आपको पता है कि इस फिल्म को बनाने में इतना समय क्यों लगा था। इस फिल्म के पीछे राज कपूर ने क्या कुछ नहीं खोया। बड़ी स्टारकास्ट वाली ये फिल्म उस दौर में क्यों सबसे बड़ी फ्लॉप बनी, चलिए जानते हैं इसकी सही वजह।
‘मेरा नाम जोकर’ को बनाने में क्यों लगे थे छह साल ?
मेरा नाम जोकर एक रोमांटिक फिल्म थी। जिसकी कहानी से लेकर निर्देशन तक का कार्य राज कपूर ने आरके बैनर तले किया था। राजकपूर ने फिल्म में ‘राजू’ का किरदार निभाया था। ऋषि कपूर ने राज कपूर के बचपन का किरदार अदा किया था। उसके अलावा इस फिल्म में मनोज कुमार, धर्मेंद्र, पद्मिनी, सिमी ग्रेवाल, केसेनिया रयाबिनकिना, दारा सिंह, ओम प्रकाश, राजेन्द्र नाथ, अचला सचदेव जैसे बड़े सितारे नजर आए थे।
रिपोर्ट्स की मानें तो ‘मेरा नाम जोकर’ को बनाने में छह वर्ष इसलिए लगे, क्योंकि मूवी की स्टारकास्ट काफी बड़ी थी और सभी का टाइम मैच होना संभव नहीं था। उस वक्त में मनोज कुमार से लेकर धर्मेंद्र तक एक बड़ा नाम बन चुके थे। ऐसे में सभी के टाइम को मैच करते-करते काफी समय चला गया।
राज कपूर ने दांव पर लगा था दिया था अपना बंगला
ये फिल्म राज कपूर का ड्रीम प्रोजेक्ट था। ‘मेरा नाम जोकर’ को बनाते समय जब काफी वक्त लग रहा था, तो आसपास मौजूद कई लोगों ने राजकपूर को सलाह भी दी, लेकिन उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी। राज कपूर ने इस फिल्म को बनाने के लिए अपने घर से लेकर अपनी कई प्रॉपर्टी गिरवी रख दी थी। नतीजन जब ये फिल्म रिलीज हुई तो बुरी तरह से पिट गई और राज कपूर बहुत ज्यादा कर्जे में डूब गए।
फिल्म को दर्शक ही नहीं मिले
ऑडियंस को कुछ अलग परोसने के चक्कर में जब उनकी फिल्म को दर्शक ही नहीं मिले, तो राजकपूर का दिल टूट गया। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने खुद को एक वर्ष तक सबसे दूर रखा था। लेकिन कहते हैं न कि अंधेरे के बाद एक रोशनी होती है, ऐसा ही राज कपूर के साथ भी हुआ। उन्होंने बेटे ऋषि कपूर और डिंपल कपाड़िया को लेकर फिल्म ‘बॉबी’ बनाई। ये दोनों स्टार्स की ही बतौर यंगस्टर पहली फिल्म थी। ‘बॉबी’ ने राज कपूर की किस्मत के सोए सितारों को जगा दिया और ये फिल्म एक बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई।
जब ‘मेरा नाम जोकर’ 1970 में पिट गयी , तो किसी ने कहा कि फिल्म का रन टाइम 4 घंटे से ज्यादा था इसलिए नहीं चली। किसी ने कहा कि मूवी डबल इंटरवल की वजह से पिट गई। हालांकि, रणधीर कपूर ने मूवी फ्लॉप होने की सही वजह बताई थी।
खबर के मुताबिक, मेरा नाम जोकर के फ्लॉप होने की वजह बताते हुए रणधीर कपूर बोले थे कि, ‘उस समय पर लोगों के लिए जोकर सिर्फ हंसाने का नाम था। वह इस बात से निराश थे कि फिल्म में कॉमेडी नहीं है। दर्शक फिल्म में छुपे गहरे पहलुओं को नहीं समझ सके।
मेरा नाम जोकर’ उस समय पर भले ही फ्लॉप हुई हो, लेकिन आज ये फिल्म हिंदी सिनेमा के इतिहास की सबसे बेहतरीन मूवी में से एक हैं।