नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : बॉलीवुड में कई कलाकार आए और चले गए, लेकिन कुछ चुनिंदा सितारे ऐसी छाप छोड़ गए जो आज भी मरकर भी आज जिन्दा है। उनमे से एक नाम सुरैया का भी है। बेहतर अदाकारी से हमेशा दर्शकों का दिल जीतती रही है।
सुरैया सिनेमा की पहली लेडी सुपरस्टार थी। उनका चार्म किसी को भी दीवाना बना देता था । लोग उनकी खूबसूरती के कायल थे। उनके चाहने वाले फैंस ही नहीं, बड़े-बड़े अभिनेता भी सुरैया को पाने के लिए बेताब रहते थे। उन्हें सिनेमा की ‘मल्लिका-ए-हुस्न’ और ‘मल्लिका-ए-अदाकारी’ जैसे नामों से जाना जाता था। आज सुरैया की डेथ एनिवर्सरी है। इस अवसर पर जानिए अभिनेत्री के करियर के शुरुआती दौर के बारे में…
कम उम्र में थामा माइक
15 जून 1929 को लाहौर में जन्मी सुरैया का जन्म हुआ था और उनका पूरा नाम सुरैया जमाल शेख था। जब वह एक वर्ष की थीं, तभी उनके माता-पिता परिवार के साथ मुंबई में आकर बस गए थे। सुरैया के चाचा एम. जहूर फिल्मी दुनिया से सम्बन्ध रखते थे। जिस उम्र में बच्चे पढ़ाई या खेलने में लीं होते है, उस समय सुरैया फिल्मी दुनिया में अपना भविष्य बनाने में जुट गई थीं।
सुरैया ने अपने करियर की शुरुआत ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में एक सिंगर के रूप में की थी। उन्होंने बच्चों के एक प्रोग्राम में गाना गाया था। उस वक्त वह सिर्फ 6 वर्ष की थीं। गाने के साथ-साथ सुरैया एक अच्छी अदाकारी भी थी, जिसका सबूत ‘मैडम फैशन’ से मिल गया था। जद्दन बाई की फिल्म से उन्होंने चाइल्ड आर्टिस्ट के रूप में काम शुरू किया था।
इस फिल्म ने बदली सुरैया की किस्मत
सुरैया को फिल्मों का बहुत ज्यादा शौक था। उन्हें जब भी स्कूल से छुट्टियां मिलती थी, वह अपने चाचा के साथ फिल्म स्टूडियो चली जाया करती थीं। एक बार वह अपने चाचा के साथ मोहन स्टूडियो में फिल्म ‘ताज महल’ (1941) की शूटिंग देखने गईं थी । सुरैया नहीं जानती थी कि जिस फिल्म की शूटिंग देखने जा रही हैं, उसी में उन्हें लीड रोल मिल जाएगा।
जब सुरैया ‘ताज महल’ की शूटिंग देखने गईं, तब उन पर डायरेक्टर नानूभाई वकील की नजर पड़ी। एक्ट्रेस का चार्म और उनकी मासूमियत देख डायरेक्टर ने उन्हें अपनी फिल्म में तुरंत कम दे दिया । इसमें सुरैया ने मुमताज महल का किरदार निभाया था।
सुरैया का चला आवाज का जादू
एक्टिंग के अलावा सुरैया के पास गाने की भी कला थी। जब नौशाद अली ने 13 साल की सुरैया को गाता हुआ देखा तो वह उनकी गायिकी से इस कदर प्रभावित हो गए कि उन्हें ‘शारदा’ (1942) में गाने का अवसर दिया। वह सुरैया के मेंटर थे। उन्होंने ‘तमन्ना’, ‘स्टेशन मास्टर’ और ‘हमारी बात’ जैसी फिल्मों में चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर काम करने के अलावा इसमें अपनी आवाज भी दी।
सुरैया ने हीरोइन बनकर इंडस्ट्री पर किया राज
वर्ष 1945 में फिल्म ‘तदबीर’ से सुरैया को हीरोइन के रूप में पहला अवसर मिला था। वह देव आनंद के साथ ‘विद्या’, ‘जीत’, ‘अफसर’, ‘सनम’, ‘मिर्जा गालिब’, ‘इशारा’ जैसी फिल्मों में अभिनेत्री के तौर पर कार्य किया। सुरैया ने अपने जीवन में कुल 67 फिल्में की हैं और 338 गानों को अपनी आवाज दी। सुरैया ने साल 1963 में फ़िल्मी दुनिया से ब्रेक ले लिया था।
ताउम्र कुंवारी रहीं सुरैया ने 31 जनवरी 2004 को 75 साल की उम्र में अंतिम सांस ली। वह कई बीमारियों से ग्रसित थीं।