UP : जलालाबाद किले पर हिंदू संगठन ठोक रहे दावा, RLD विधायक का कब्जा

SHAMLI-NEWS

शामली, संवाददाता : उत्तर प्रदेश के शामली स्थित जलालाबाद स्थित किले की जांच अभी अधर में लटकी है। हिंदू संगठनों का दावा है कि किला उनके पूर्वजों का है जबकि रालोद विधायक अशरफ अली इसे अपने पूर्वजों की धरोहर बता रहे हैं। फिलहाल किले के विवाद को लेकर जांच सियासत की हांडी में पक रही है।

जलालाबाद में ऐतिहासिक किला विवादों में है, इस पर भाजपा सरकार के साथ गठबंधन में रालोद विधायक अशरफ अली खान कई पीढ़ियों से काबिज हैं। वे इसे अपने पूर्वजों द्वारा बनाए जाने का दावा करते हैं, लेकिन निर्माण कराने वाले अपने किसी पूर्वज का नाम नहीं बता पाते हैं।

दूसरी तरफ कुछ हिंदू अपने पूर्वजों द्वारा बनाया गया बताकर इसको पुरातत्व विभाग को सौंपे जाने की मांग कर रहे हैं। दो वर्षों से इसकी भूलभुलैया जांच प्रशासन कर रहा है। यह जांच कब पूरी होगी और उसकी रिपोर्ट कब पुरातत्व विभाग को भेजी जाएगी, यह जिले का कोई भी अधिकारी बताने के लिए तैयार नहीं है।

कई सौ साल पुराना है ऐतिहासिक किला

जलालाबाद कस्बे में कई सौ साल पुराना ऐतिहासिक किला है, जो वर्तमान में पुराने निर्माण के साथ आधुनिक निर्माण का मिश्रित नमूना बन चुका है। नगर में सबसे ऊंचाई पर स्थित इस किले का मुख्य द्वार इतना बड़ा है, जिसमें हाथी भी आसानी से प्रवेश कर जाए। रालोद विधायक अशरफ अली अपने परिवार के साथ इसमें काबिज हैं। उन्होंने अपने रहने के लिए इसके परिसर में नया भवन भी बनवाया है।

अशरफ अली खान का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी सियासत करने वाला खानदान है। उनके पिता शौकत अली खान नगर पंचायत के चेयरमैन थे, जबकि उनके ताऊ गय्यूर अली खान कई बार विधायक व सांसद रहे। उनके दादा लियाकत अली भी अंग्रेजी शासन काल में ऑनरेरी मजिस्ट्रेट थे। अशरफ अली यह दावा तो करते हैं कि यह किला उनके पूर्वजों ने बनवाया है, जिसके दस्तावेज उनके पास हैं लेकिन जब उनसे सवाल किया गया कि उनके किस पूर्वज ने यह किला बनवाया तो वह निरुत्तर हो गए।

हिंदुओं ने मनहार खेड़ा दुर्ग कल्याण समिति बनाई

दूसरी तरफ इस किले को हिंदुओं का बता रहे लोगों ने मनहार खेड़ा दुर्ग कल्याण समिति बनाई हुई है। इस समिति के सचिव भानू प्रताप सिंह किले को अपने पूर्वजों का बताते हुए संरक्षण किए जाने की मांग कर रहे हैं। 27 जनवरी 2023 को पुरातत्व विभाग के उत्खनन और अन्वेषण अधिकारी रामविनय ने पहली बार प्रशासन को पत्र लिखकर किले के संबंध में रिपोर्ट मांगी थी। अब तक चार बार पत्र भेजकर रिपोर्ट मांगी जा चुकी है। समिति अफसरों से मिलकर, प्रदर्शन आदि के जरिए निरंतर दबाव बना रही है कि किले को कब्जामुक्त कराया जाए और पुरातत्व विभाग को सौंपकर संरक्षित किया जाए।

पुरातत्व विभाग की निदेशक रेनू द्विवेदी ने जिलाधिकारी को पत्र भेजकर किले का सरकारी रिकॉर्ड, खसरा खतौनी, राजस्व नक्शा गाटा संख्या, रकबा आदि उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे, मगर जिला प्रशासन ने खानापूर्ति करते हुए 29 दिसंबर 2025 को आधी-अधूरी एक रिपोर्ट एसडीएम शामली विनय कुमार ने पुरातत्व विभाग को भेजी थी, जिसको दो दिन बाद ही पुरातत्व विभाग ने अस्पष्ट बताकर नए सिरे से स्पष्ट रिपोर्ट भेजने को कहा था। इस निर्देश को भी अब तीन माह बीत चुके हैं।

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