जम्मू, संवाददाता : लोहड़ी का पर्व 13 जनवरी को मनाया जाता है। लोहड़ी के दिन या उसके दो चार दिन पूर्व बालक-बालिकाएं बाजारों में दुकानदारों या अन्य लोगों से लोहड़ी के नाम पर पैसे मांगते हैं। इसके बाद रेवड़ी एवं लकड़ी खरीदकर सामूहिक लोहड़ी मनाते हैं।
पूस-माघ की जाड़े की ठंड से बचने के लिए आग से बहुत सहायता मिलती है। लोहड़ी से संबद्ध रीति-रिवाजों एवं परंपराओं से मालूम होता है कि प्रागैतिहासिक गाथाएं भी इससे जुड़ गई हैं। दक्ष प्रजापति की बेटी सती के योगाग्नि-दहन की याद में ही यह अग्नि जलाई जाती है।
अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 5:45 बजे से रात 8:12 बजे तक
इस वर्ष अर्घ्य देने का शुभ मुहूर्त शाम 5:45 बजे से रात 8:12 बजे तक रहेगा। जिन परिवारों में विगत में कोई शादी हुई हो या जिन्हें लड़का – लड़की की प्राप्ति होती है, ऐसे लोगो से रूपये पैसे लेकर मोहल्ले के बच्चे या गांव भर में रेवड़ी बांटते हैं।
लोहड़ी के पर्व को मुस्लिम नायक दुल्ला भट्टी के साथ भी जोड़ा जाता है, जो पंजाब क्षेत्र से नाता रखते थे। उन्होंने अकबर के शासन गलत नीतियों का विद्रोह का नेतृत्व किया था। किंवदंती के मुताबिक , मुगल शासक हुमायूं ने दुल्ला के जन्म से चार महीने पहले उसके पिता फरीद खान और दादा संदल भट्टी की हत्या कर दी थी। विद्रोहियों के दिलों में भय पैदा करने के लिए दोनों की खालों को गेहूं की घास में भरकर भरवा गांव के बाहर लटका दिया गया। उनकी हत्या कर दी गई क्योंकि उन्होंने मुगलों को कर देने का विरोध किया था।
अपने परिवार की मौत का बदला लेने के लिए दुल्ला भट्टी उस युग का रॉबिनहुड बन गया। वह अकबर के जमींदारों से माल लूटकर गरीबों और जरूरतमंदों में बांट देता था। अकबर उन्हें डाकू के रूप में देखता था।
इसके अलावा दुल्ला को उन महिलाओं को बचाने के लिए जाना जाता है, जिन्हें जबरन गुलाम बाजारों में बेचने के लिए ले जाया गया था। फिर उसने गांव के लड़कों से उनकी शादी तय की और आर्थिक रूप से मदद की। बचाई गई लड़कियों में सुंदरी और मुंदरी भी सम्मिलित थीं जो अब पंजाब के लोकगीत सुंदर मुंदरिये से जुड़ी हुई हैं।
14 को मनाई जाएगी मकर संक्रांति
मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाएगी। श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष (ज्योतिषाचार्य) महंत रोहित शास्त्री ने कहा है कि मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इसी वजह से इस संक्रांति को मकर संक्रांति कहते हैं। इस वर्ष मकर सक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाई जाएगी।
मध्यरात्रि के बाद 2 बजकर 43 मिनट पर सूर्य देव मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर संक्रांति का पुण्य काल 15 जनवरी सोमवार सुबह 9 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इस दिन सत्यनारायण भगवान, सूर्य देव और अपने इष्टदेव की पूजा का विधान है।
पूरे भारत में इस त्योहार को किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं, जबकि कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश में इसे केवल संक्रांति कहते हैं।
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ होती है, इसलिए इसको उत्तरायणी भी कहते हैं दक्षिणायन को देवताओं की रात्रि यानी नकारात्मकता का प्रतीक और उत्तरायण को देवताओं का दिन अर्थात सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों का विशेष महत्व है। इस अवसर पर दिया गया दान सौ गुना बढ़कर पुन: प्राप्त होता है।