नई दिल्ली, ब्यूरो : बुरी आदतें केवल काम करने वाले लोगों की राह ही नहीं रोक रहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान पहुंचाती हैं।
आर्थिक सर्वे में यह चिंता भी सामने आई है कि इंटरनेट मीडिया, स्क्रीन टाइम और सेहत के लिए खराब मानी जाने वाली खाद्य सामग्री का बड़ा खतरा उपस्थित है, जो लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने के अलावा ही उनकी उत्पादकता पर बुरा असर पड़ने वाला है और इससे कुल मिलाकर देश की आर्थिक मजबूती पर असर पड़ने वाला है। इस संदर्भ में निजी क्षेत्र को अपनी जिम्मेदारी समझना होगा।
आर्थिक सर्वेक्षण में क्या बोला गया है ?
सर्वेक्षण के मुताबिक बोला गया है कि श्रम पर पूंजी को तरजीह देना दीर्घ काल के लिए कॉरपोरेट ग्रोथ सही नहीं होगा। यह निष्कर्ष इस लिहाज से प्रमुख है, क्योंकि उद्यमियों और उद्योगपतियों ने मांग के अभाव का हवाला देकर निवेश करने के प्रति अनिच्छा प्रदर्शित किया है।
भारत के उधोगो को दिखानी होगी समझदारी
भारत का खान-पान शैली और खाना है, उसने सदियों से यह साबित किया है कि वह सेहत के लिहाज से एकदम ठीक है और प्रकृति के साथ भी तालमेल बिठाने वाला है। भारत के उधोगो को इस प्रकरण में समझदारी दिखानी होगी कि वे भारतीय खान-पान शैली और खाने को अपनाएं। उनके लिए दुनिया का बाजार भी इंतजार कर रहा है।
कौशल के अतिरिक्त हो अच्छी सेहत की भी चिंता
सर्वेक्षण के मुताबिक देश की काम करने वाली आबादी को अर्थपूर्ण रोजगार मिलने के लिहाज से यह जरूरी है कि वे कौशल के साथ-साथ अच्छी सेहत की भी चिंता होनी चाहिये। इस संदर्भ में भारतीयों में खाने की जैसी आदतें उभर रही हैं, वे न केवल अस्वास्थ्यकर हैं, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी ठीक नहीं हैं।