नई दिल्ली,डिजिटल डेस्क : ऑस्ट्रेलिया में किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध का दायरा तेजी से बढ़ाया जा रहा है। इस साल की शुरुआत में ही अल्बनीज सरकार ने कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को किशोरों की पहुंच से दूर करने का फैसला किया था। अब इन प्लेटफॉर्म्स में एक और नया नाम जुड़ गया है। इसे लेकर दुनियाभर में चर्चा भी शुरू हो गई है। जहां कुछ अधिकार संगठनों ने इसे नवयुवकों और युवतियों के साथ ज्यादती करार दिया है, तो वहीं कुछ और संगठनों ने इस फैसले की सराहना भी की है।
हालांकि, इस बीच यह सवाल उठ रहे हैं कि आखिर ऑस्ट्रेलिया सरकार किशोरों के लिए सोशल मीडिया से जुड़ा क्या फैसला ले रही है ? यह निर्णय लिया क्यों जा रहा है? इसके दायरे में कौन से प्लेटफॉर्म्स को रखा जाएगा? प्रतिबंध कब से और कैसे लागू होंगे ? आइये जाने –
क्या है ऑस्ट्रेलियाई सरकार का फैसला, इससे क्या बदलेगा ?
ऑस्ट्रेलिया की संसद में नवंबर 2024 में एक कानून पारित कराया गया था। इसके जरिए ऑस्ट्रेलिया के ऑनलाइन सेफ्टी एक्ट, 2021 में संशोधन किया गया और 16 साल से कम उम्र के बच्चे-किशोरों के सोशल मीडिया प्रयोग पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया गया। पहले इस कानून के तहत 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सिर्फ कुछ सामग्री ही प्रतिबंधित थी। हालांकि, नए कानून के तहत बच्चों-किशोरों के लिए पूरे सोशल मीडिया पर ही पाबंदी रहेगी।
कानून के तहत अगर सोशल मीडिया कंपनियां 16 साल से कम उम्र के बच्चों को अकाउंट बनाने से रोकने में असफल रहती हैं तो उन पर 5 करोड़ डॉलर तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इतना ही नहीं कंपनियों को ऐसे सिस्टम बनाने का भी आदेश दिया गया, जिससे बच्चे उनके प्लेटफॉर्म पर अकाउंट ही न बना पाएं। हालांकि, ऐसी मैसेजिंग और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स को इस प्रतिबंध से दूर रखा गया है, जो कि स्वास्थ्य, शिक्षा के मकसद से काम कर रही हैं।
क्यों किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर होगी पाबंदी ?
- ऑस्ट्रेलिया लेबर पार्टी की सरकार का कहना है कि किशोरों के लिए सोशल मीडिया पर पाबंदी लगाने का फैसला उन्हें इसके खराब प्रभाव से बचाने के लिए लिया जा रहा है।
- प्रधानमंत्री अल्बनीज कई मौकों पर कह चुके हैं कि जब बच्चों और किशोरों की बात आएगी तो ऑस्ट्रेलिया उनके अधिकार बचाने के लिए सबसे आगे रहेगा।
- पीएम का कहना है कि सोशल मीडिया की एक सामाजिक जिम्मेदारी है और इसमें कोई शंका नहीं कि ऑस्ट्रेलियाई बच्चे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स से गलत तरह से प्रभावित हो रहे हैं।
सरकार के इस कदम को एक ऑनलाइन पोल में 77 फीसदी लोगों का साथ भी मिला था। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार ऐसे प्रतिबंध लागू करने में जल्दबाजी कर रही है।
कौन से प्लेटफॉर्म पाबंदी के दायरे में आएंगे ?
ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने जब संसद में बच्चों-किशोरों के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर पाबंदी लगाने की बात कही थी, तब यह साफ नहीं था कि इसके दायरे में प्रचलित कंपनियों के अलावा किस-किस के नाम होंगे। लिस्ट में मेटा के फेसबुक, इंस्टाग्राम के अलावा एक्स, स्नैपचैट, रेडिट और टिकटॉक के नाम पहले से ही शामिल थे। लेकिन गूगल के यूट्यूब को पहले इस दायरे से अलग माना जा रहा था। दरअसल, तब तर्क दिए गए थे कि यूट्यूब युवाओं के लिए काफी फायदेमंद है।
हालांकि, 30 जुलाई (बुधवार) को खबरें आईं कि यूट्यूब को भी उन प्लेटफॉर्म्स में शामिल किया गया है, जिन्हें किशोरों के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा। हालांकि, यह प्रतिबंध बाकी वेबसाइट्स के मुकाबले कम होंगे। यानी बच्चे यूट्यूब वीडियो देख सकेंगे, लेकिन प्लेटफॉर्म पर न तो अपना अकाउंट बना सकेंगे और न ही इस पर प्रतिक्रिया (लाइक-कमेंट्स) दे सकेंगे। बता दें कि यूट्यूब पर कई सेवाएं सिर्फ अकाउंट होने पर ही एक्सेस की जा सकती हैं।
पाबंदी के दायरे में आने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में यूट्यूब को शामिल करने का फैसला नई संचार मंत्री अनिका वेल्स के प्रभार संभालने के बाद लिया गया है। उन्होंने बताया कि इस बारे में पिछले महीने ही ई-सेफ्टी कमिश्नर जूली इनमैन ग्रांट की तरफ से सलाह दी गई थी। ग्रांट ने 2600 लोगों के एक सर्वे का हवाला देते हुए कहा था कि हर चार में से एक व्यक्ति ने यूट्यूब पर हानिकारक सामग्री देखी है। इतना ही नहीं यूट्यूब में एल्गोरिदम काफी लुभाने वाले वीडियोज ही प्रदर्शित करती है।
प्रतिबंध लगाए कैसे जाएंगे ?
- सोशल मीडिया कंपनियों को यूजर्स के लिए आयु के सत्यापन से जुड़ी प्रणाली तैयार करनी होगी।
- कंपनियों को खुद ही 16 साल से कम उम्र के बच्चों की पहचान कर अकाउंट को डिएक्टिवेट करना होगा।
- छिपकर सोशल मीडिया एक्सेस करने वाले बच्चों-किशोरों और उनके परिवारों पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा।
- सरकार इसके लिए आधिकारिक पहचान पत्र को अनिवार्य नहीं करेगी, बल्कि दूसरे तरीकों से सत्यापित करने का तरीका लाने पर जोर दे रही।
- इन नियमों का जो कंपनियां अनुपालन नहीं करेंगी, उन पर पांच करोड़ डॉलर तक का जुर्माना लगाया जाएगा।