मऊ, संवाददाता : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय कृषि उपयोगी सूक्ष्मजीव ब्यूरो, कुशमौर, मऊ में अनुसूचित जातीय उप-योजना (एस०सी०एस०पी०) कार्यक्रम के तहत “कृषि अवशेषों से तेजी से खाद बनाने” के विषयक पर दो दिवसीय किसान प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित की गई। कार्यक्रम में बगली , नजीरपुर, साजनपुर, बंजीरपुर, रानीपुर ग्राम सभा के अनुसूचित जाति के कुल चौतीस किसानों ने भाग लिया।कार्यक्रम में किसानों को फसल अवशेषों (धान के पुआल एवं अन्य कृषि अवशेष) से मूल्यवर्धित खाद तैयार करने का व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया।
“बायो-फास्ट” (डीकंपोजर) के प्रयोग के बारे में किसानों को दी गई जानकारी
इस प्रशिक्षण में किसानो को धान के पुआल को काटने, डीकम्पोज़र को मिलाने एवं दो महीने में तेजी से खाद तैयार करने के लिए “बायो-फास्ट” (डीकंपोजर) के प्रयोग के बारे में बताया गया। किसानों को खेत की मिट्टी की उर्वरक क्षमता को समझने के लिए “रैपिड टेस्ट किट का उपयोग करके मिट्टी परीक्षण” पर प्रदर्शन किया गया और प्रशिक्षण दिया गया। इस प्रशिक्षण में किसानों को माइक्रोबियल फॉर्मूलेशन के साथ खाद के बायोफोर्टिफिकेशन पर भी प्रशिक्षण दिया गया।
संस्थान निदेशक डा०आलोक कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं किसानो को प्राकृतिक खेती के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की तथा कृषि में सूक्ष्मजीवों के महत्त्व में बारे में किसानो को अवगत कराया। प्रधान वैज्ञानिक डा० हर्ष वर्धन सिंह ने मिट्टी और पौधों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए पोषक तत्वों की उपयोगिता के बारे में चर्चा की तथा सूक्ष्मजीव आधारित पोषक तत्व प्रबंधन पर व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम के समन्वयक डा० वी०मगेश्वरन, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में फसल अवशेषों से तेजी से खाद बनाने की विधि के बारे में विस्तृत रूप से व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया। डा०आदर्श कुमार ने ब्यूरो द्वारा विकसित की गयी जैविक खाद के बारे में विस्तृत जानकारी दी और प्राकृतिक खेती एवं जैविक खेती के बारे में विस्तृत रूप से अवगत कराया तथा किसानो को रासायनिक उर्वरको के उपयोग से होने वाली समस्याएं के बारे में जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम के संचालन में विशेष रूप से संस्थान के तकनीकी अधिकारी अमित कुमार राय, आशुतोष राय एवं अलोक उपाध्याय ने अपना सहयोग दिया।कार्यक्रम के आयोजन में बगली ग्राम सभा के शशिकांत यादव का भी विशेष योगदान रहा।