कानपुर, संवाददाता : मम्मा की आत्मा भटक रही है, मेरे सपनों में रोज आती हैं। आंखों में आंसू भरकर मुझे निहारती हैं, मगर कहती कुछ नहीं। मैंने कई बार मम्मा से सपने में कहा कि आप जाओ, भटको मत। हम लोगों ने आपको आजाद कर दिया है। यह कहते-कहते 13 साल की मेधावी फफकने लगती है। ये वही मेधावी है, जिससे दो अगस्त को साकेतनगर में नाबालिग कार चालक ने हमेशा के लिए उसकी मां छीन ली।
ऐसे नाबालिग चालकों पर मेधावी का गुस्सा भी फूटा। कहा कि इतनी जल्दी क्या है ड्राइव करने की, 18 साल का होने के लिए दो-तीन साल इंतजार नहीं कर सकते। हीरो बनने के चक्कर में किसी के मम्मी-पापा को मत छीनो। आज मैं बिना मम्मा के कैसी हूं, मैं ही जानती हूं।
अपने नाना-नानी के पास ही है मेधावी
कभी स्कूल के स्टेज पर खूब थिरकने वाली मेधावी अब जांघ में पड़ी रॉड पर हाथ रखे हुए सिर्फ एकटक छत को ही निहारती है। समझदार इतनी है कि बूढ़े नाना-नानी को देखती है, तो मुस्कुरा देती है। उसकी मुस्कुराहट देख नाना-नानी की आंखें डबडबा जाती हैं। फिर तीनों लिपटकर रोने लगते हैं। ऐसा दिन में एक नहीं, कई बार होता है। इस समय मेधावी अपने नाना-नानी के पास ही है।