प्रयागराज़, संवाददाता : ध्यान-योग, आध्यात्म की ताकत दुनियावी चकाचौंध और वैभवशाली जीवन शैली पर भारी पड़ रही है। विश्व के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम के तौर पर लगे महाकुंभ में संगम की ओर रुख करने वाली दुनिया के लिए यह सनातन संस्कृति के बढ़ते प्रभाव की बड़ी नजीर है।
अमेरिका के न्यूयार्क स्थित बफैलो शहर की एक नामी कंपनी में फूड सेक्रेटरी के पद पर तैनात रहीं क्रिस्टीना गेरुआ वस्त्र पहनकर अमृता माता बन गई हैं। न्यूयार्क के बफैलो शहर में स्थित कैनिसियम यूनिवर्सिटी से विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त करने वाली क्रिस्टीना के अमृता माता बनने की कहानी भी कम दिलचस्प नहीं है। अमृता अमेरिकी दंपती की इकलौती संतान हैं। मां ज्वाइनया और पिता सेल्वटॉरी ने किस्टीना को बड़े दुलार से पाला पोसा।
मां और पिता ने बेटी के महंगे शौक और शाही जीवन शैली पर कभी रोक टोक नहीं लगाई। बिंदास जिंदगी जीने वाली क्रिस्टीना क्रियायोग से प्रभावित होकर भारत चली आईं। क्रिस्टीना बताती हैं कि वह महंगे क्लब भी ज्वाइन करती थीं और लजीज व्यंजनों का स्वाद उन्हें बेहद पसंद था। लेकिन, एक बार कनाडा में क्रियायोग गुरु स्वामी योगी सत्यम की क्रिया योग कक्षा में शामिल होने का अवसर मिलने के बाद उनकी पूरी जीवन शैली ही बदल गई।
योगी सत्यम से ली दीक्षा
उनके आहार-व्यवहार में तो बदलाव आया ही, देखते-देखते ही पूरा जीवन क्रियायोग साधना की भक्ति में रंग गया। बेटी में आए इस बदलाव को देखकर क्रिस्टीना के माता-पिता भी अचंभित हुए। अंतत: बेटी की खुशी के लिए उसे लेकर क्रियायोग आश्रम आ गए। क्रिस्टीना क्रियायोग अभ्यास की साधना में रमने के साथ ही योग गुरु योगी सत्यम से दीक्षा लेकर अब अमृता माता बन गई हैं।
अमृता माता महाकुंभ में महीने भर संगम के तट पर साधना करेंगी। उन्होंने क्रियायोग के रूप में सनातन धर्म को स्वीकार कर लिया है। वह बताती हैं कि सनातन संस्कृति से श्रेष्ठ उनकी नजर में विश्व में कोई संस्कृति नहीं है। उनका कहना है कि क्रियायोग के निरंतर अभ्यास के जरिए मन और शरीर के विकार से मिटते ही हैं, किसी भी तरह की बीमारी भी दूर हो सकती है।
क्रिस्टीना का मां उनको लेकर यहां आश्रम में आईं। मां ने ही अपनी बेटी के जीवन में आए बदलाव के बारे में जानकारी दी और अपनी बेटी की खुशी के लिए आश्रम में ही उनको दीक्षा देने का आग्रह किया। – योगी सत्यम, अध्यक्ष, क्रियायोग आश्रम एवं अनुसंधान संस्थान