कानपुर, संवाददाता : कानपुर में ( डेयरी ) संचालकों से नगर निगम प्रथम बार गोबर शुल्क की वसूली करेगा । फिलहाल छह महीने के लिए ट्रायल के तौर पर यह व्यवस्था लागू की जा रही है। तब तक के लिए डेयरी संचालको के खिलाफ अभियान स्थगित कर दिया गया। यह फैसला शनिवार को महापौर प्रमिला पांडेय की अध्यक्षता में हुई नगर निगम अफसरों और डेयरी संचालकों की बैठक में लिया गया।
प्रमिला सभागार में दोपहर में हुई इस बैठक में महापौर ने कहा कि ज्यादातर ( डेयरी ) संचालक नालियों, सीवर लाइनों में गोबर बहाते रहते हैं। कुछ इधर-उधर फेंकते हैं, जिससे नगर निगम की छवि धूमिल हो रही है। इसीलिए ( डेयरी ) संचालको के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है । यह सुनते ही ( गाय भैस ) संचालको द्वारा अभियान का विरोध करने लगे , की डेयरी हटने से शहर में दूध की किल्लत होने की बात कहते हुए उन्हें यथावत संचालित करने का अनुरोध किया।
100 क्विंटल गोबर पर 1200 रुपये शुल्क
विचार-विमर्श के बाद महापौर ने जोनल स्वच्छता अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे डेयरी संचालकों के गोबर एकत्रित कर निस्तारित करें। चट्टा संचालकों से 100 क्विंटल गोबर पर 1200 रुपये शुल्क लिया जाए. जिस चट्टे से जितना गोबर मिले, उसी दर से उनसे शुल्क वसूला किया जाएगा। यह व्यवस्था छह महीने के लिए लागू की जा रही है।
वह स्थायी डेयरी बनाने के लिए शासन से वार्ता करेंगी महापौर
इस दौरान यदि चट्टों के आसपास गोबर मिले या वे सीवर लाइनों में गोबर बहाएं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। चट्टा संचालकों को आश्वासन दिया कि वह स्थायी चट्टे बनाने के लिए शासन में बात करेंगी। बैठक में अपर नगर आयुक्त (प्रथम) प्रतिपाल सिंह, मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके निरंजन, रफजुल रहमान आदि सम्मिलित रहे।
डेयरी से नाली में गोबर जाने से रोकने के लिए आईआईटी से मांगा सहयोग
महापौर के अनुसार, चट्टों से गोबर नालियों में न जाए, इसके लिए आईआईटी से तकनीकी सहयोग लिया जाएगा। इसके लिए 18 या 19 नवंबर को आईआईटी के साथ बैठक करने के निर्देश दिए।