नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : एक छोटे से गांव से मुंबई आकर अभिनेता बनने का सपना तो कई लोग देखते हैं, लेकिन कम लोग ही इसे पूर्ण कर पाते हैं। मनोज बाजपेयी के लिए भी बिहार के एक छोटे गांव से आकर अभिनेता बनने का ख्वाब पूरा करना सरल नहीं था। शुरू में मनोज बाजपेयी ने काफी संघर्ष किया है। बहुत फिल्मों से रिजेक्ट भी किये गए ।
साल 1994 में ‘द्रोह काल’ से डेब्यू करने वाले मनोज बाजपेयी को असली पहचान राम गोपाल वर्मा की फिल्म ‘सत्या’ (1998) से मिली। इसके बाद वह इंडस्ट्री में छा गये। बड़े पर्दे के अतिरिक्त मनोज ओटीटी पर भी राज कर रहे हैं। एक हालिया इंटरव्यू में अभिनेता ने संघर्ष के दिनों को याद किया है।
मुंबई आकर बहुत परेशान हो गया था -मनोज
शुरुआती दिनों को याद कर मनोज बाजपेयी ने सिद्धार्थ कन्नन संग वार्ता में कहा, “दिल्ली अलग था, क्योंकि मैं हर दिन कार्य करता था और बहुत व्यस्त रहता था, लेकिन यहां (मुंबई) मेरे पास कोई कार्य नहीं था और मैं बहुत परेशान हो गया था। मैं पूर्ण रूप से निराश हो गया था। मेरे पैसे भी खत्म हो गये थे और कमाई भी नहीं हो रही थी। मैं यहां थिएटर भी नहीं कर रहा था। फिर मैंने कुछ एक्सरसाइज करनी शुरू की और उसे रूटीन बना लिया।”
शूट के पहले दिन किये गए आउट
मनोज बाजपेयी ने उस बुरे फेज के बारे में भी बात किया , जब उन्हें एक दिन में तीन-तीन शोज से रिजेक्ट कर दिया गया था। अभिनेता ने कहा, “एक बार मुझे एक सीरियल में कार्य मिला था। शूट का पहला दिन था। जब मैंने अपना पहला शॉट दिया, तब मैंने देखा कि टीम आपस में बातचीत कर रही है। उस वक्त सिर्फ मैं और कैमरा था। 15 मिनट बाद चीफ एडी ने आकर मुझे कपड़े बदलने के लिए कहा और यह भी कहा कि वह मुझे बाद में बुलाएंगे।”
मनोज बाजपेयी ने आगे बोले , “मैंने उनसे पूछा कि क्या मेरी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी और उन्होंने कहा कि उन्हें यह समझ नहीं आया। मैंने अपना कॉस्ट्यूम बदला। उनका शूट पोस्टपोन हो गया, क्योंकि मैं उनका मेन लीड अभिनेता था और मुझे हटा दिया गया था।”
सेट से मिला रिजेक्शन
‘भैया जी’ अभिनेता ने कहा, “सबसे अनकन्फर्टेबल सिचुएशन तब होती थी, जब आप जा रहे हों और जब मुड़कर जा रहे हों तो वे सब आपको देख रहे हों। यह मेरे लिए इतना बड़ा रिजेक्शन था कि मैं जल्द से जल्द उनकी नजरों से ओझल होना चाहता था। इसके बाद मुझे एक कॉर्पोरेट फिल्म मिली तो मैं उस सेट पर गया और देखा कि मेरा रोल कोई और कर रहा है। मैंने अपने दोस्त विक्टर आचार्य को फोन किया और इस बारे में पूछा। उन्होंने कहा कि यह मेरे रिजेक्शन का दिन था।”