लखनऊ, ब्यूरो : प्रदेश में नजूल की बेशकीमती जमीनों को कौड़ियों के भाव फ्री होल्ड कराने का खेल चल रहा है। लगभग दो लाख करोड़ रुपये की इन सरकारी जमीनों को सर्किल रेट का केवल 10 फीसदी देकर फ्री होल्ड कराने की जद्दोजहद की जा रही है।
इन जमीनों को निजी हाथों में जाने से बचाने के लिए लाया गया प्रदेश सरकार उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति- 2024 विधेयक विधानस परिषद में अटक गया है। आवास विकास फर्जी दस्तावेजों से फ्री होल्ड कराने वाली जमीनों को निस्तारित करेगा। नजूल की जमीन को फ्रीहोल्ड कराने के इस फर्जीवाड़े में स्थानीय स्तर पर अधिकारियों की मिलीभगत भी सामने आई है।
यूपी में लगभग 25 हजार हेक्टेयर जमीन नजूल की है। विभाग के मुताबिक अब तक कम से कम 4 हजार एकड़ जमीन फ्री होल्ड कराई जा चुकी है। अब नजूल जमीनों के मालिकाना हक को लेकर 312 केस हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में चल रहे हैं। करीब 2500 केस लाइन में हैं।
इनसे जुड़ी जमीनों की कीमत लगभग दो लाख करोड़ रुपये है। ये जमीनें सबसे ज्यादा प्रयागराज, कानपुर, अयोध्या, सुल्तानपुर, गोंडा, बाराबंकी आदि में हैं। नजूल की जमीनों को फ्री होल्ड कराने का केंद्र प्रयागराज है। यहां लगभग पूरा सिविल लाइंस नजूल की जमीन पर है। एक-एक बंगला 100 से 250 करोड़ रुपये का है।
100 करोड़ की जमीन केवल 5 करोड़ में फ्रीहोल्ड
सर्किल रेट के हिसाब से नजूल की किसी जमीन की कीमत 50 करोड़ रुपये है। उस जमीन का बाजार भाव 100 करोड़ है। इसे सर्किल रेट का केवल 10 फीसदी देकर फ्री होल्ड कराया जा रहा है। यानि वह व्यक्ति केवल पांच करोड़ रुपये में 100 करोड़ रुपये की जमीन का मालिक बन जाता है।
खास बात यह है कि नजूल एक्ट में फ्री होल्ड का प्रावधान ही नहीं है, लेकिन अब तक कम से कम 25 फीसदी नजूल की जमीन को इस तरीके से फ्री होल्ड कराया जा चुका है।
नजूल की जमीन क्या है ?
अंग्रेजों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और लगान चुका पाने में विफल लोगों की जमीनों को छीन लिया था। इसके बाद 1895 में गवर्नमेंट ग्रांड एक्ट के तहत ये जमीनें मामूली किराये पर अंग्रेजों ने लीज पर दे दीं। इनकी लीज अवधि 90 वर्ष तक थी। इन जमीनों पर सरकार का मालिकाना हक है। ऐसी जमीनों को फ्री होल्ड से रोकने के लिए प्रदेश सरकार नजूल एक्ट लाई है।
उत्तर प्रदेश नजूल संपत्ति विधेयक की खास बातें
सरकार इस एक्ट के जरिए नजूल की जमीन को कौड़ियों के भाव फ्री होल्ड कराने के खेल पर रोक लगाना चाहती है। प्रस्तावित एक्ट के मुताबिक नजूल की जमीनों पर जो लोग रह रहे हैं, उन्हें नहीं छेड़ा जाएगा।
गरीब और कमजोर लोगों के पुनर्वास की व्यवस्था की जाएगी। उन्हें हटाया भी नहीं जाएगा। केवल बची जगह पर पार्किंग, पार्क, सरकारी संस्थान, सरकारी शिक्षण संस्थान, पीएम आवास योजना या अन्य सार्वजनिक उपयोग में लाने का प्रावधान है। जमीन पर बसे बाजारों को बेहतर बनाने का प्रावधान है। नजूल एक्ट को देश के शीर्ष कानूनी विशेषज्ञों की राय से तैयार किया गया है।