नई दिल्ली, एंटरटेनमेंट डेस्क : सिनेमा लंबे अरसे से फिल्मों के जरिए दर्शकों का मनोरंजन करता रहा है। इस दौरान इंडस्ट्री की तरफ से कुछ ऐसी फैमिली ड्रामा फिल्मी पेश की गई हैं, जिन्होंने ऑडियंस की दिलों पर गहरी छाप छोड़ी। अब इस कड़ी में ऐसा ही कुछ दोहराने के लिए गदर फिल्म निर्देशक अनिल शर्मा वनवास मूवी लेकर आ गए हैं, जिसे आज से सिनेमाघरों में रिलीज कर दिया गया।
दिग्गज अभिनेता नाना पाटेकर ने सालभर बाद वनवास के जरिए सिल्वर स्क्रीन पर वापसी की है। अगर आप भी वीकेंड पर अपने परिवार के साथ वनवास को देखने का प्लान कर रहे हैं, तो आइए जानते हैं कि वनवास का रिव्यू कैसा है और थिएटर्स में आपके ढाई घंटे कैसे गुजरेंगे।
दिल को छूने वाली इमोशनल कहानी
फिल्म वनवास एक मानसिक तौर परेशान बुजुर्ग पिता दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) की कहानी है। वह अपने परिवार से बेहद प्यार करता है, लेकिन उसके कलयुगी बहू और बेटे उससे छुटकारा पाना चाहते हैं और उसे बनारस में छोड़कर चले जाते हैं। परिवार को खोजते हुए दीपक बनारस के गंगा घाटों पर भटकता है, जहां उसकी मुलाकत चुलबुले अंदाज वाले मस्तमौला लड़के वीरू से होती है।
वीरू और दीपक की दोस्ती कैसी होती है। वीरू दीपक की भावुक कहानी सुनकर उसे उसके घर-फैमिली के पास वापस ले जाने की हर संभव कोशिश करता है। जिसमें उनकी मदद के लिए महिला रिपोर्टर मीना (सिमरत कौर) भी अपना योगदान देती हैं।
अब क्या वीरू दीपक त्यागी को उसके परिवार से मिलाने में कामयाब होता है या नहीं तो उसके लिए आपको फिल्म वनवास को देखना पड़ेगा। कुल मिलाकर कहा जाए तो ये एक शानदार फिल्म है और आज के समाज को आइना दिखाती है कि कैसे लोग अपने आराम के लिए बुजुर्ग माता-पिता को घर से बाहर कर देते हैं।
अनिल शर्मा ने फिर छोड़ी छाप
गदर एक प्रेम कथा, अपने और गदर 2 जैसी कई बेहतरीन फिल्मों को बनाए जाने के लिए निर्देशक अनिल शर्मा को जाना जाता है। जहां आज के समय में बॉलीवुड में एक्शन मूवी का बोलबाला है, वहां अनिल ने एक फैमिली ड्रामा और खास मैसेज देने वाली वनवास को पेश करने का जिगरा दिखाया है। लेखक सुनील सिरवैया ने कंटेंट की नब्ज को समझते हुए एक इमोशनल स्टोरी से फैंस की आंखें नम होने पर भी मजबूर किया है।
नाना पाटेकर की शानदार वापसी
बीते साल द वैक्सीन वॉर में नजर आने वाले नाना पाटेकर ने वनवास के जरिए जोरदार कमबैक किया है। जिस तरह से उन्होंने इस मूवी में अपना किरदार निभाया है, उसे सिर्फ और सिर्फ नाना ही निभा सकते थे। दूसरी और अनिल शर्मा के लाडले उत्कर्ष शर्मा ने एक बार ये साबित किया है कि एक्टिंग का हुनर उनमें कूट-कूट के भरा हुआ है।