मेरठ,संवाददाता : पश्चिमी यूपी में पहली बार नशा तस्करों पर पिट (द प्रिवेंशन ऑफ इलिसिट ट्रैफिक इन नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक एंड सबस्टांसेंस एक्ट-1988) के तहत कार्रवाई होने जा रही है। सहारनपुर से लेकर , मुजफ्फरनगर, शामली ,बागपत, मेरठ, बिजनौर, हापुड़ और बुलंदशहर की जेलों में बंद उन नशा तस्करों की सूची तैयार की जा रही है, जो नशा तस्करी के पेशेवर अपराधी हो चुके हैं और जेल से बाहर निकलने के बाद वह फिर इसी धंधे में शामिल हो सकते हैं। पिट की कार्रवाई के लिए करीब 20 नशा तस्करों की सूची तैयार की जा रही है। यह कार्रवाई एएनटीएफ (एंटी नारकोटिक्स टॉस्क फोर्स) की ओर से कराई जाती है।
पुलिस उपाधीक्षक एनएनटीएफ मेरठ-सहारनपुर राजेश कुमार के मुताबिक पश्चिमी यूपी में अभी तक ऐसी कार्रवाई नहीं हुई थी। इस कार्रवाई के बाद नशा तस्कर कम से कम एक साल जेल के अंदर रहेगा और जमानत से लेकर अन्य किसी तरह की याचिका पर कोई विचार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा नशे के धंधे से जो संपत्ति जुटाई थी, उसे भी चिन्हित कर जब्त कर लिया जाएगा। यह कार्रवाई उन अपराधियों के खिलाफ की जाती है, जिनका जेल में बंद रहना नितांत जरूरी हो जाता है।
एनएसए से मिलती-जुलती है पिट की कार्रवाई
पिट की कार्रवाई एनएसए (राष्ट्रीय सुरक्षा कानून) से मिलती-जुलती है। एनएसए के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को तीन महीने बिना जमानत के हिरासत में रखा जा सकता है। जरूरत पड़ने पर तीन-तीन माह की अवधि बढ़ाई जा सकती है, जो अधिकतम एक साल हो सकती है। हिरासत में रखने के लिए संदिग्ध पर आरोप तय करने की जरूरत नहीं होती। हालांकि प्रदेश सरकार को यह बताना पड़ता है कि इस व्यक्ति को जेल में किस आधार पर रखा गया। यह कार्रवाई शासन के आदेश पर सिविल पुलिस कर सकती है, जबकि पिट की कार्रवाई सिर्फ एएनटीएफ ही कर सकती है।
उत्तर प्रदेश शासन को भेजी जाएगी नशा तस्करों की सूची
राजेश कुमार, पुलिस उपाधीक्षक एनएनटीएफ, मेरठ-सहारनपुर जोन ने बताया कि एएनटीएफ ने जिन तस्करों की सूची पिट के लिए तैयार की है, उसे डीएम से कमिश्नर और मुख्यालय भेज दिया जाएगा। शासन स्तर पर जांच होगी कि जिस व्यक्ति के खिलाफ पिट की कार्रवाई की फाइल आई है वह कितनी सही है। शासन की अनुमति के बाद कार्रवाई की जाती है।
नशा तस्करों पर पिट की कार्रवाई के लिए पश्चिमी यूपी के अलग-अलग जिलों की जेलों में बंद कुछ तस्करों की फाइल तैयार की गई है। इसे मुख्यालय भेजा जाएगा। अनुमति मिलने पर यह कार्रवाई की जाएगी।