बालोद , संवाददाता : छत्तीसगढ़ प्रदेश एनएचएम कर्मचारी संघ द्वारा नियमितीकरण, लंबित वेतन वृद्धि और अन्य 10 सूत्रीय मांगों को लेकर चल रहा अनिश्चितकालीन आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। आंदोलन के नौवें दिन मंगलवार को बालोद बस स्टैंड में कर्मचारियों ने “संविदा रूपी मटकी फोड़” कर संविदा प्रथा के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। कोरोना काल के संघर्ष को याद करते हुए कर्मचारियों ने कहा कि महामारी के दौरान उन्होंने जान जोखिम में डालकर सेवाएँ दीं और लाखों लोगों की जान बचाई, लेकिन संविदा व्यवस्था के कारण न तो शहीद साथियों को लाभ मिला और न ही वर्तमान कर्मचारी अपने अधिकार पा सके।
महिला कर्मचारियों की सक्रिय भागीदारी
तीज उपवास के बावजूद बड़ी संख्या में महिला स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल स्थल पर डटी रहीं। बालोद ब्लॉक से श्रीमती रामेश्वरी साहू, गुंडरदेही से उमेश्वर देशमुख, लोहारा से श्रीमती सोनल गांधी, डोंडी से श्रीमती मिनाली रामटेके तथा गुरुर से श्रीमती फलेश्वरी समेत कई महिला कर्मचारी आंदोलनकारी मंच पर उपस्थित रहीं।
ठप हुई स्वास्थ्य सेवाएं
आंदोलन का असर अब प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर गहराई से दिख रहा है। रात्रिकालीन प्रसव एवं ऑपरेशन थिएटर सेवाएँ पूरी तरह बंद हो चुकी हैं। संस्थागत प्रसव, पैथोलॉजी जांच, टीबी/कुष्ठ/मलेरिया परीक्षण, चिरायु स्कूल स्वास्थ्य परीक्षण, एनसीडी और आपातकालीन सेवाएँ भी बाधित हो गई हैं।
कर्मचारियों के आरोप और चेतावनी
एनएचएम संघ का आरोप है कि भाजपा के घोषणा पत्र और “मोदी की गारंटी” में 100 दिनों के भीतर संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण का वादा किया गया था, लेकिन बीते 20 महीनों में 160 से अधिक ज्ञापन देने के बावजूद सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। जब तक सभी मांगों पर लिखित आदेश जारी नहीं होते, आंदोलन इसी तरह जारी रहेगा। यदि सरकार ने शीघ्र पहल नहीं की तो आने वाले दिनों में प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह ठप हो जाएगी।