झाँसी , संवाददाता : Jhansai News :राजस्थान में इन दिनों अरावली की पहाड़ियों का अस्तित्व बचाने के लिए आंदोलन चल रहा है। इधर, बुंदेलखंड क्षेत्र में विंध्य पहाड़ी शृंखला को खनन व भू-माफिया खत्म करने पर तुले हैं।
शहर व इसके आसपास पूर्व में विंध्य की ऊंची-ऊंची पहाड़ियां थीं, लेकिन अवैध खनन के चलते न केवल उनसे पत्थर निकाला बल्कि मोरंग निकालकर पहाड़ियों का अस्तित्व खत्म कर कॉलोनियां बसा दीं। न तो प्रशासन कुछ कर सका और न ही खनिज विभाग। इससे नियम कायदों की धज्जियां उड़ीं और पर्यावरण को भी खतरा पैदा हुआ।
राजस्थान में इन दिनों अरावली की पहाड़ियों का अस्तित्व बचाने के लिए आंदोलन चल रहा है। इधर, बुंदेलखंड क्षेत्र में विंध्य पहाड़ी शृंखला को खनन व भू-माफिया खत्म करने पर तुले हैं। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि शहर के बाहर तो छोड़िए नगर निगम सीमा में भी बेखौफ होकर अवैध रूप से पत्थर काटकर कॉलोनियां बसाई जा रही हैं।
पहाड़ी नंबर एक
झांसी मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ठीक सामने करीब 500 फीट ऊंची कैमाशन की पहाड़ी को काटकर लोगों ने मकान बना लिए। हैरानी की बात है कि यहां रैनबसेरा भी बना दिया। कई नर्सिंग होम और जिम संचालित हैं। जबकि यहां नगर निगम ने अतिक्रमण न करने की हिदायत का नोटिस बोर्ड लगा रखा है।
पहाड़ी नंबर दो
झांसी-ग्वालियर हाईवे पर बुंदेलखंड कॉलेज के पास 20 साल पहले जार पहाड़ नाम से करीब 100 फीट ऊंची पहाड़ी थी। इसे काटकर प्लॉट बेचे गए और कई लोगों ने उन्हें खरीदकर इमारतें बना लीं। खास बात यह है कि यह कॉलोनी शहर के हृदय स्थल में है।
पहाड़ी नंबर तीन
झांसी-कानपुर रेलवे लाइन के पास पंचवटी इलाके में करीब 100 फीट ऊंची पहाड़ी थी। इसका विस्तार रेलवे क्रॉसिंग से लेकर 200 मीटर आगे तक लाइन के किनारे तक था। इस पहाड़ी को भी काट डाला गया। यहां कॉलोनी बसा दी गई। खास बात है कि झांसी विकास प्राधिकरण ने भी यहां अपने प्लॉट बेचे हैं।
पहाड़ी नंबर चार
रेलवे ओवरब्रिज के पास आईटीआई क्षेत्र में पूर्व में करीब 50 फीट ऊंची पहाड़ी थी। इसे काटकर सड़क तो बनी ही। कई लोगों ने इस पर अतिक्रमण कर लिया है। प्रशासन ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया।
शुरू किया गया आंदोलन
करीब 500 फीट ऊंची कैमाशन पहाड़ी को बचाने के लिए पूर्व में आंदोलन शुरू किया गया था। चार महीने पहले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में इसे बचाने के लिए वाद दायर किया गया है। जल्द ही इसकी सुनवाई होगी। भानू सहाय, अध्यक्ष, बुंदेलखंड निर्माण मोर्चा
जनपद की कई पहाड़ियों की काफी पहले खुदाई की जा चुकी है। उनकी अनुमति ली थी या नहीं, इसके लिए दस्तावेज देखने पड़ेंगे। शैलेंद्र सिंह, वरिष्ठ खनन अधिकारी
