भोपाल, वैशाली, सिंह : भोपाल के बागमुगालिया एक्सटेंशन में रहने वाले उमाशंकर तिवारी पर्यावरण संरक्षण को सिर्फ एक दिन का अभियान नहीं, बल्कि जीवनशैली का हिस्सा मानते हैं। पिछले 25 वर्षों से वे न सिर्फ पौधारोपण कर रहे हैं, बल्कि पर्यावरण के हर पहलू-जैसे सिंगल यूज प्लास्टिक का विरोध, पटाखों का बहिष्कार, बिजली-पानी की बचत और कचरा प्रबंधन-पर गंभीरता से काम कर रहे हैं।
राजधानी भोपाल के बागमुगालिया एक्सटेंशन में रहने वाले उमाशंकर तिवारी पिछले 25 वर्षों से पर्यावरण संरक्षण की अनूठी मुहिम चला रहे हैं। उन्होंने केवल पौधारोपण तक खुद को सीमित नहीं रखा, बल्कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग, पटाखों के प्रयोग, बिजली-पानी की बर्बादी और कचरा प्रबंधन तक अपने प्रयासों को व्यापक रूप दिया है। इसे लेकर समाज को जागृत करने के लिए वे लगातार प्रयास कर रहे हैं। वर्ष 2000 में बागमुगालिया एक्सटेंशन कॉलोनी में जब उमाशंकर तिवारी ने रहना शुरू किया, तब यहां हरियाली नहीं के बराबर थी।
चट्टानी जमीन पर उन्होंने पौधारोपण की शुरुआत की और संकल्प लिया कि हर पौधे को पेड़ बनने तक पालेंगे। उन्होंने पीपल, नीम, बरगद, आम, जामुन जैसे पेड़ों को ट्री गार्ड के साथ सुरक्षित किया। आज भोपाल के कई हिस्सों में उनके द्वारा लगाए गए पौधे घनी छाया दे रहे हैं। हाल में एक पेड़ को काटने को हत्या बता वह एफआईआर लिखाने थाने भी पहुंचे। अपने अनोखे अंदाज से उमाशंकर तिवारी पर्यावरण बचाने का बड़ा संदेश दे रहे हैं।
पटाखे, पॉलीथिन और प्लास्टिक को कहा ‘ना’
उमाशंकर तिवारी ने 2003 से पटाखों का पूरी तरह से बहिष्कार किया। उनका मानना है कि जब हम पर्यावरण की रक्षा की बात करते हैं, तो हमें प्रदूषण फैलाने वाले हर साधन से भी दूरी बनानी चाहिए। उन्होंने न केवल प्लास्टिक के थैलों का उपयोग बंद किया, बल्कि 15 साल से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ एक सामाजिक अभियान चला रहे हैं। उनका स्पष्ट कहना है कि किसी भी शादी या सार्वजनिक समारोह में यदि प्लास्टिक की कटोरी, चम्मच या पानी की बोतलें इस्तेमाल हो रही हों, तो वे और उनका परिवार वहाँ भोजन नहीं करते। यह उनके संकल्प और जागरूकता का प्रतीक है।
बिजली-पानी की बर्बादी के भी खिलाफ
तिवारी सिर्फ घर तक सीमित नहीं हैं। वे कॉलोनी, आसपास के क्षेत्र और सरकारी दफ्तरों में भी बिजली और पानी की बर्बादी रोकने का अभियान लगातार चलाते हैं। जहां कहीं भी पानी टपकता है या स्ट्रीट लाइट दिन में जल रही होती है, वहां वे तुरंत संबंधित विभाग को सूचित कर सुधार करवाते हैं।
सिर्फ पेड़ लगाना ही पर्यावरण बचाना नहीं है
तिवारी का मानना है कि अगर हमें स्वस्थ रहना है तो सिर्फ पेड़ लगाकर नहीं, पर्यावरण के हर पहलू पर ध्यान देना होगा- प्लॉस्टिक हटाना होगा, पटाखे छोड़ने होंगे, बिजली-पानी बचाना होगा और कचरा जलाने से परहेज करना होगा। यही असली पर्यावरण रक्षा है।