शिमला, संवाददाता : प्रदेश हाईकोर्ट ने पेड़ों को तारों से जकड़ने और नुकीली कीलों से चोटिल किए जाने वाले प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए प्रदेश के सभी जिलाधिकारियो से जवाब तलब किया है। मुख्य न्यायाधीश एमएस रामचंद्र राव और न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर कड़ा संज्ञान लेते हुए सभी जिलाधिकारियो को प्रतिवादी बनाया। हाईकोर्ट के नाम लिखी ई-मेल में आरोप लगाया गया है कि पेड़ों पर कीलें ठोक कर लटकाए होर्डिंगों और तरह-तरह की तारों से पेड़ों को जकड़ने से हरे-भरे पेड़ों को भारी नुक्सान पहुंच रहा है। इस प्रकार के कृत्यों से पेड़ों पर आशियाने बनाने वाले पक्षियों और पेड़ों पर निर्भर अन्य जीवों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। वे तारों में उलझ कर जख्मी हो जाते हैं। आरोप है कि संबंधित अधिकारी इस पर आंखे मूंदे बैठे हैं।
डैंटल काॅलेज सुंदरनगर के लैक्चरार डॉ. धर्मेश शर्मा, डॉ. आशीष शर्मा, डॉ. मालविका और डॉ. साक्षी सुपेहिया ने हाईकोर्ट के नाम ई-मेल से पेड़ों की व्यथा को कोर्ट के समक्ष रखा जिसे हाईकोर्ट ने जनहित याचिका में तबदील किया गया है। प्रार्थियों का कहना है कि अक्सर पेड़ों पर लटके होर्डिंग, तारों, कंक्रीट से जकड़े और कीलों से जख्मी पेड़ों को देख उनका मन बहुत उदास हो जाता है। न जाने क्यों जवाबदेह पक्ष अपनी आंखें खोलकर दोषियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही नहीं करते। इस प्रकार के कृत्यों से न केवल पेड़ जख्मी होते हैं बल्कि विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होकर सूख भी जाते हैं। पेड़ों के सूखने से हमारे ही पर्यावरण का नुक्सान भी होता है।