महाकुंभ नगर, शिव सिंह : धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के प्रदाता तीर्थों के राजा प्रयागराज की रेतीली धरा। कलकल करती अमरतरंगिनी, तरणि-तनुजा और मां वागेश्वरी की अदृश्य धारा। चहुंओर धर्म-अध्यात्म का निरविराम प्रवाह। देवताओं के साथ दैत्य, दानव, यक्ष, गंधर्व, किन्नरों का प्रवास।
मौका था 76वें गणतंत्र दिवस का और मुहुर्त थी प्रभात बेला की। इसी बीच ग्रीस के एथेंस शहर की पिनेलोपी व नई दिल्ली के वेस्ट पंजाबी बाग के सिद्धार्थ शिव खन्ना ने अपने गृहस्थ जीवन के अध्याय में नए पन्ने जोड़े। इस सुनहरे पन्ने को संत समाज का आशीष मिला।
गंगा घाट से निकली बरात
सेक्टर 18 हरिश्चंद्र मार्ग स्थित जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी के शिविर में रविवार को अनुष्ठान की जगह विवाह की तैयारियां चल रही थीं। हर कोई लगन से मगन था। बहुप्रतीक्षित शुभ लग्न में सुबह 10 बजे गंगा घाट से बरात उठी। बैंड-बाजे की धुन पर भगवाधारी बराती नाचते-गाते शिविर की ओर बढ़े। दूल्हा सिद्धार्थ के साथ उनके पिता शिव खन्ना और मां सुनीत खन्ना और बहन-बहनोई, भांजा और खास दोस्तों के अलावा योग छात्र शामिल हुए।
ग्रीस से दुल्हन के रिश्तेदार भी पहुंचे
शिविर में बरात का सत्कार किया गया। 12 बजे जयमाल की रस्म हुई। अपराह्न दो बजे पौड़ी गढ़वाल के आचार्य सुनील नौटियाल ने शुभ लग्न में सात फेरे दिलाए। पिनेलोपी के पिता गेरासिमोज सर्रास और माता हरा कांस्टेंटोपाउलो ने कन्यादान किया। कन्या पक्ष से ग्रीस से दुल्हन के तमाम रिश्तेदार भी शामिल हुए। इसके बाद दोनों पक्षों को संत समाज ने आशीर्वाद दिया। अब दंपती महाकुंभ के बाद मां चामुंडा के दर्शन करने जाएंगे।
दोनों योग शिक्षकों की ग्रीस में हुई थी मुलाकात
ग्रीस के एथेंस शहर की रहने वाली पिनेलोपी ने टूरिज्म मैनेजमेंट से स्नातक किया है। इसके बाद उनका रुझान योग की तरफ बढ़ा। योग सीखने के लिए वह थाईलैंड गईं। वापस ग्रीस आने के बाद करीब नौ वर्ष पहले उनकी मुलाकात नई दिल्ली के सिद्धार्थ से हुई। सिद्धार्थ बतौर योग प्रशिक्षक वहां गए थे। दोनों की दोस्ती प्यार में बदल गई। सालभर पहले दोनों की मुलाकात जूना अखाड़े के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी से हुई। अध्यात्म की तरफ झुकाव बढ़ा तो पिनालोपी ने स्वामी यतींद्रानंद से दीक्षा ली।