नई दिल्ली, एजेंसी : गणतंत्र दिवस परेड के दौरान आज एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। परेड में लेफ्टिनेंट अहान कुमार ने कर्तव्य पथ पर 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में अपने हनोवरियन घोड़े रणवीर पर सवार होकर प्रतिष्ठित 61 घुड़सवार सेना की टुकड़ी का नेतृत्व किया।
दरअसल, इस युवा अधिकारी के लिए ये गर्व का क्षण था। ऐसा इसिलए क्योंकि उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार दिल्ली क्षेत्र के जनरल ऑफिसर कमांडिंग परेड कमांडर हैं।
दुनिया की एकमात्र सक्रिय घुड़सवार रेजिमेंट
वर्ष 1953 में स्थापित 61 घुड़सवार सेना की टुकड़ी (61 Cavalry) दुनिया की एकमात्र सक्रिय घुड़सवार रेजिमेंट है, जिसमें सभी ‘राज्य घुड़सवार इकाइयों’ का समामेलन है।
अहान ने हासिल किया अनूठा गौरव
इतिहास में दर्ज आखिरी घुड़सवार सेना अभियान का नेतृत्व करने का अनूठा गौरव अहान को प्राप्त हुआ, जिसमें 15वीं इंपीरियल कैवलरी ब्रिगेड के हिस्से के रूप में इस टुकड़ी ने तुर्की की आठवीं सेना को हराया था। इस कारण 23 सितंबर 1918 को हाइफा के रणनीतिक बंदरगाह पर कब्जा किया गया था। इसी को आज भारत और इजराइल में हाइफा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
नई दिल्ली में तीन मूर्ति हाइफा चौक इस प्रतिष्ठित इकाई के सैनिकों और घोड़ों की वीरता और साहस का प्रमाण है, जिसने 39 युद्ध सम्मान जीते हैं।
परेड के बाद नौ मशीनीकृत स्तंभ और नौ मार्चिंग टुकड़ियां थीं। इसके बाद ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की टुकड़ी ने ‘ओल्ड गोल्ड और ब्लड रेड’ के शानदार रंगों में सजे ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स की गौरवशाली टुकड़ी का नेतृत्व किया, जिसकी कमान 19 गार्ड्स के कैप्टन भारत रवींद्र भारद्वाज के हाथों में थी।
पैदल सेना रेजिमेंट है ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स
ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स सबसे वरिष्ठ पैदल सेना रेजिमेंट है और सबसे सम्मानित रेजिमेंटों में से एक है। इस रेजिमेंट को भारतीय सेना की पहली अखिल भारतीय ऑल क्लास रेजिमेंट होने का गौरव प्राप्त है और इसे 1949 में तत्कालीन कमांडर-इन-चीफ स्वर्गीय फील्ड मार्शल केएम करिअप्पा, ओबीई द्वारा राष्ट्रीय एकीकरण के लिए एक दूरदर्शी कदम के रूप में स्थापित किया गया था।
जाट रेजिमेंट की उत्पत्ति वर्ष 1795 में हुई थी जब कलकत्ता मिलिशिया की स्थापना की गई थी और बाद में 1859 में इसे नियमित इन्फैंट्री बटालियन में बदल दिया गया था।
ब्रिगेड ऑफ द गार्ड्स के बाद बलिदान की परंपरा और एक मजबूत सैन्य टुकड़ी के रूप में प्रसिद्ध जाट रेजिमेंट के साथ कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ी। इस टुकड़ी का नेतृत्व कैप्टन अजय सिंह गार्सा ने किया।