राहुल गांधी की नई आफत ‘मोदी सरनेम का ओबीसीकरण’

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लखनऊ,रिपब्लिक समाचार, प्रिया श्रीवास्तव: राहुल गाँधी…… विपक्ष का वो चेहरा ,जिसे कांग्रेस हमेशा से अगला प्रधानमंत्री बनता देखना चाहती थी। लेकिन अफसोस कि अब वो सपना लंबे समय के लिए फिर से टल गया है। राहुल गाँधी को राजनैतिक गलतियों की सजा मिली है ,ऐसा कहना है भाजपा का, भाजपा ने 2024 के चुनाव से पहले कोई ऐसी कसर नहीं छोड़ी है। जिससे कांग्रेस को बर्बादी का अनुभव ना हो ,मगर क्या वाकई राहुल गाँधी के साथ जो हुआ , उसका राहुल गाँधी को कोई अफसोस है ? क्या वाकई भाजपा की घेराबंदी से कांग्रेंस कमजोर पड़ी है? ये कुछ बड़े सवाल है ,जिनके जवाब हम आपको देते हैं।

दिख चाहे जो भी रहा हो , लेकिन सच्चाई ये है कि अब राहुल गांधी तेवर में हैं। दुनिया उनके तेवर देख रही है। वो कह रहे हैं।

“मैं सावरकर नहीं बल्कि गांधी हूं और गांधी कभी माफी नहीं मांगते।”

राहुल गांधी का ये अंदाज लोगों को हजम नहीं हो रहा है। खासकर भाजपा वालों को समझ नहीं आ रहा है कि रस्सी जल जाने के बाद आखिर इतना बल कैसे बाकी रह गया है ? राहुल गांधी की सदस्यता चली गई है। 2024 का सपना भी अधूरा रह गया है ,लेकिन राहुल गाँधी की बोली बता रही है। कि उनको चुनाव ना लड़ पाने का कोई मलाल नहीं है बल्कि अब वो सेशन कोर्ट के इस फैसले के विरुद्ध उपयुक्त अदालत में जाने के लिए अपनी तैयारियों में लग गए हैं, और सत्याग्रह कर रहे है।

वहीं दूसरी तरफ भाजपा भी मौकापरस्त राजनीति करने से परहेज नहीं कर रही। बीजेपी को साफ दिख रहा है कि काग्रेंस की सबसे जरूरी नब्ज पर वार हुआ है तो उसे तोड़ना आसान हो जाएगा ,लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। भाजपा इन दिनों राहुल गाँधी को तोड़ने की पुरजोर कोशिश कर रही है। इसके लिए भाजपा के प्रावक्ता फ्रंट में आकर काम कर रहे हैं, और राहुल गाँधी पर वो इल्जाम भी लगा रहे हैं, जिनका उनसे नाता नही है,और सही मानिए तो आज की दुनिया में इसे ही कहते हैं राजनीति, कैसे ये भी बता देंते हैं।

राहुल गाँधी को जिस बयान पर

राहुल गाँधी को जिस बयान पर सजा मिली वो था, कि “आखिर सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों होते हैं “। लेकिन क्या आपको इस वाक्य में कहीं भी ओ.बी.सी जाति पर सीधा वार करते हुए कुछ शब्द सुनाई दिए। बेशक नहीं सुनाइ दिए होंगे क्योंकि उन्होंने ऐसा बोला ही नहीं, लेकिन भाजपा अब लगातार कह रही है ,कि राहुल गाँधी ने मोदी सरनेम के सहारे पूरे o b c समुदाय को परेशान किया है।

उन्होंने ने अपने बयान में ओबीसी शब्द का जिक्र तक नहीं किया फिर भी। भाजपा ने इस शब्द को उठा लिया, सिर-माथे पर लगाया और एकसुर में तमाम प्रवक्ता बोल उठे कि ओबीसी समाज का विरोध, उसे बदनाम करने की कांग्रेसी चाल नहीं चलेगी। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कह ही दिया है, कि राहुल गांधी को ओबीसी समाज से माफी मांगनी ही पड़ेगी। यही तो है भाजपा की कट्टर राजनीति कि, जो बोला नहीं, वो भी राहुल गांधी पर डाल दिया गया और फिर से माफीनामे की रट चालू कर दी गई।

अब सवाल यह उठता है कि

अब सवाल यह उठता है कि क्या ओबीसी वाले मसले को भाजपा और धार देगी? तो इसका भी सीधा सा जवाब है कि हाँ, बिल्कुल देगी। एक्सपर्ट्स मान रहे हैं कि देश भर में लगभग 50 प्रतिशत से ज्यादा वोटर ओबीसी समाज के हैं। और दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पता है कि इस मैजिकल नंबर का इस्तेमाल कैसे करना है। साथ ही साथ कांग्रेस का सबसे बड़ा मोहरा ,जो भाजपा के लिए परेशानी का सबब बन सकता था ,वो राहुल गाँधी ही थे। तो मौके की नजाकत को भांपते हुए भाजपा ने सही समय पर सही तीर चलाया है। लेकिन खास बात ये है कि राहुल गाँधी रूकने और डरने का नाम नही ले रहे हैं। ऐसे में राजनीति का ये खेल देखना काफी ज्यादा दिलचस्प होने वाला है। अब इस खेल का रिजल्ट क्या आएगा ,ये तो समय ही बताएंगा।

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