लखनऊ,डॉ. जितेंद्र बाजपेयी : वर्ष 2024 का लोकसभा चुनाव ऐसा पहला चुनाव होगा जब रालोद बिना चौधरी अजित सिंह के इस चुनावी रण में कूदेगी। ऐसे में इस चुनाव को लेकर रालोद प्रमुख जयंत चौधरी के कदम पर सबकी निगाह है। हालांकि जयंत साफ कह रहे हैं कि वह विपक्ष में हैं और विपक्ष की अगली बड़ी बैठक में शिरकत करेंगे।
सबकी निगाह जयंत चौधरी पर
बावजूद इसके यह चर्चाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले ही जयंत सत्ताधारी पार्टी की नैया में सवार हो जाएंगे या फिर विपक्ष में ही हुंकार भरेंगे। दरअसल चर्चाओं का यह बाजार 23 जून को पटना में होने वाली विपक्षी दलों की बैठक के बाद ज्यादा गरम हुआ। इस बैठक में जयंत चौधरी शामिल नहीं हुए थे। हालांकि वह देश के बाहर थे और उन्होंने बाकायदा पत्र जारी कर इस बैठक का समर्थन किया था।
बावजूद इसके सियासी गलियारों में यह चर्चा शुरू हो गई कि जयंत की नजदीकी एनडीए सरकार के साथ बढ़ रही है। हो सकता है कि वह लोकसभा चुनाव से पहले उनके पाले में खड़े नजर आएं। इससे पहले चाहे नगर निकाय का चुनाव हो या अन्य कई कार्यक्रम, जयंत और सपा प्रमुख अखिलेश यादव साथ साथ नजर नहीं आए।
दोनों का गठबंधन होने के बावजूद साथ साथ न होना कई सवाल खड़े कर गया जिसे और मजबूत किया 23 जून को हुई पटना की बैठक ने। हालांकि जयंत ने जो पत्र इस बैठक को लेकर बिहार के सीएम और पटना बैठक के आयोजक नीतीश कुमार को लिखा था उससे यह लग रहा था कि वह पूरी तरह से विपक्ष के साथ हैं।
उन्होंने लिखा था कि आज देश में अधिनायकवादी और साम्प्रदायिक शक्तियां जिस तरह लोकतंत्र तथा सामाजिक समरसता के लिए खतरा पैदा कर रही हैं, उसे देखते हुए विपक्षी दलों का एकजुट होना समय की मांग है। इधर केंद्रीय रामदास अठावले ने लखनऊ में यह कह दिया कि जयंत भी एनडीए में आ जाएंगे।