लखनऊ,मेहुल : भारत में नदियों का प्राचीन इतिहास है। नदी और मानव का अटूट संबंध है। कहा जाता है कि जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन संभव नहीं है, लेकिन विकास की अंधी दौड़ में नदियों के अस्तित्व पर संकट पैदा कर दिया है। देश की ज्यादातर नदियां प्रदूषण की भेंट चढ़ गई है। समय-समय पर सरकारें नदियों की साफ सफाई का अभियान चलाती रहती है, लेकिन नदियों की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
“मन की बात” से मिली प्रेरणा
लखनऊ के एक युवा आरजे प्रतीक ने गोमती नदी की साफ सफाई का बीड़ा उठाया है और इसका नाम दिया है गो फॉर गोमती। रिपब्लिक समाचार के एक साक्षात्कार में आरजे प्रतीक बताते हैं कि इसकी प्रेरणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “मन की बात” 100 वे एपिसोड से मिली। मन की बात सुनने के बाद मैंने सोचा कि पैसा तो हर इंसान कमा लेता है क्यों न कुछ समाज के लिए किया जाए ? समाज के लिए कार्य करना मानव का श्रेष्ठ कर्तव्य है। जैसे हिमालय पर्वत पर्यावरण की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है, ठीक उसी प्रकार नदियां भी महत्वपूर्ण है ।
भारतीय संस्कृत में नदियों को मां की संज्ञा दी गई है। इसका मूल कारण यही है कि जिस प्रकार मां अपने बच्चे को दूध पिलाती है, ठीक उसी प्रकार नदियां मानव को पानी उपलब्ध कराती है । इन्हीं सब बातों को ध्यान में रख कर गोमती नदी की सफाई के लिए मैंने लखनऊ के युवाओं की टीम बनाई। इस अभियान में लखनऊ नगर निगम का भरपूर सहयोग मिल रहा है । इस अभियान में प्रतिदिन तीन चार सौ लोग भाग ले रहे है । गोमती नदी में गिर रहे नालों के विषय में कहा कि इसके लिए उच्च स्तर पर वार्ता हुई है और जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।
इस अभियान में सोशल मीडिया का भरपूर सहयोग मिल रहा है। सोशल मीडिया के माध्यम से लोग इस अभियान से निरंतर जुड़ते जा रहे है । इस अभियान से जुड़ने के लिए “GO FOR GOMTI” पेज से जुड़े।