SC ने उच्च न्यायालयों में लंबित आपराधिक केस निपटाने के लिए दिया सुझाव

SUPREME-COURT

नई दिल्ली, एजेंसी : उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को आपराधिक अपीलों की बड़ी संख्या से निपटने के लिए उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों (अस्थायी न्यायाधीशों) की नियुक्ति का सुझाव दिया।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की विशेष पीठ ने कई उच्च न्यायालयों में लंबित आपराधिक मामलों के आंकड़ों का हवाला दिया और कहा कि अकेले इलाहाबाद उच्च न्यायालय में 63,000 आपराधिक अपीलें लंबित हैं।

शीर्ष अदालत ने कहा है कि इसके लिए अप्रैल 2021 में पारित फैसले की शर्तों में बदलाव पर विचार कर सकती है। शीर्ष अदालत ने अप्रैल, 2021 में फैसला दिया था कि उच्च न्यायालयों में तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति तभी की जा सकती है, जब रिक्तियां उच्च न्यायालय की कुल स्वीकृत संख्या का 20 फीसदी या उससे अधिक हों।

झारखंड, कर्नाटक, पटना कई जगह पेंडिंग हैं आपराधिक मामले

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि झारखंड उच्च न्यायालय में यह आंकड़ा 13,000 है, और इसी प्रकार कर्नाटक, पटना, राजस्थान और पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालयों में क्रमशः 20,000, 21,000, 8,000 और 21,000 आपराधिक मामले लंबित हैं।

पीठ ने कहा कि वह 2021 के फैसले को आंशिक रूप से संशोधित कर सकती है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीशों की अध्यक्षता वाली खंडपीठों द्वारा आपराधिक अपीलों पर फैसला करने के लिए तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की जाए।

मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी
शीर्ष अदालत ने इस मामले में भारत सरकार के अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी से भी अपना सुझाव देने को कहा है। पीठ ने अटॉर्नी जनरल वेंकटरमणी को यह बताने के लिए कहा है कि क्या उच्च न्यायालयों की खंडपीठों के समक्ष सूचीबद्ध आपराधिक अपीलों का निपटारा करने के लिए इसमें (खंडपीठ) तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति की जा सकती है। मामले की अगली सुनवाई 28 जनवरी को होगी।

अदालत ने कहा, हमें केवल इस शर्त पर काम करना होगा कि तदर्थ न्यायाधीश उन पीठों पर बैठेंगे जो आपराधिक मामलों से निपट रही हैं तथा एक वर्तमान न्यायाधीश पीठासीन न्यायाधीश के रूप में कार्य करेगा… इस सीमा तक हमें उस संशोधन की आवश्यकता है।

20 अप्रैल, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में लंबित मामलों को निपटाने के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को दो से तीन साल की अवधि के लिए तदर्थ न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का निर्देश दिया।

सुनवाई के दौरान, CJI ने कहा कि उन्होंने कुछ उच्च न्यायालयों में आपराधिक अपीलों की भारी लंबितता को ध्यान में रखते हुए मामले को सूचीबद्ध किया है।

लोक प्रहरी बनाम भारत संघ नामक 2019 के मामले की सुनवाई उसी पीठ द्वारा की जा रही है, जिस पर 2021 में निर्णय सुनाया गया था।

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