शेख हसीना की भारत से गए एक फोन ने बचा ली थी जान

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नई दिल्ली ,डिजिटल डेस्क : बांग्लादेश में हुए तख्तापलट के करीब सालभर बाद एक ऐसा खुलासा हुआ, जिसे जानने के बाद आप भी हैरान हो सकते हैं।

दरअसल, बांग्लादेश में हुए इस तख्तापलट के बाद आई ‘Inshallah Bangladesh: The Story of an Unfinished Revolution’ नामक एक किताब में खुलासा हुआ है कि कैसे भारत से गई एक फोन कॉल ने शेख हसीना की जान बचाई थी और बांग्लादेश से उनको निकलने में मदद की।

दीप हल्दर, जयदीप मजूमदार और साहिदुल हसन खोकन की लिखी ये किताब जुगरनॉट द्वारा पब्लिश की जा रही है। ये किताब जल्द ही लोगों के बीच में होगी। इस किताब में दावा किया है कि पांच अगस्त 2024 को बांग्लादेश में युवाओं का प्रदर्शन उग्र रूप ले चुका था। उस दिन तत्कालीन पीएम शेख हसीना दोपहर करीब 1:30 बजे ढाका में गणभवन के अंदर ही थीं।

जब भारतीय अधिकारी ने किया फोन…

इसी दौरान उन्हें भारत के एक शीर्ष अधिकारी की कॉल प्राप्त होती है। दावा किया गया है कि उस अधिकारी को शेख हसीना पहले से अच्छी तरीके से जानती थीं। उस भारतीय अधिकारी की एक कॉल के चंद मिनट बाद शेख हसीना ने बांग्लादेश छोड़ने का फैसला किया। इस किताब में दावा किया गया कि शेख हसीना के इस फैसले ने उन्हें अपने पिता जैसा ही अंजाम भुगतने से बचा लिया।

जब शेख हसीना ने देश छोड़ने से किया था इनकार…

इस पुस्तक में कहा गया है कि वह दिन बांग्लादेश के इतिहास में हमेशा याद रखा जाएगा। भीड़ पहले से ही गणभवन से करीब 2 किलोमीटर से भी कम दूरी पर थी। यह तय था कि भीड़ का अगला निशाना पीएम आवास यानी राजभवन ही है। स्थिति बिगड़ती देख बांग्लादेश के मिलिट्री चीफ, आर्मी के जनरल वाकर-उज-जमा और साथ में एअर फोर्स और नेवी के हेड बार-बार शेख हसीना से जगह छोड़ने को कह रहे थे, लेकिन उन्होंने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।

बहन की बात मानने से शेख हसीना ने किया था इनकार

पुस्तक में दावा किया गया कि यूनाइटेड स्टेट्स में रहने वाली उनकी बहन, शेख रेहाना और उनके बेटे साजीब वाजेद ने भी हसीना से जगह छोड़ने की गुजारिश किए जा रहे थे, लेकिन वो भी उन्हें नहीं मना पाए। किताब में लिखा है कि वह (शेख हसीना) अपने देश से भागने के बजाय मरना पसंद करेंगी।

इसी दौरान एक कॉल गणभवन में आती है। लेखक का कहना है कि वह छोटी सी कॉल भारत के एक शीर्ष अधिकारी की थी। अधिकारी ने शेख हसीना से कहा कि अब काफी देर हो चुकी है और अगर तुरंत वह गणभवन नहीं छोड़तीं हैं, तो उनको मार दिया जाएगा। अधिकारी ने हसीना से यह भी कहा कि उन्हें किसी और लड़ने के लिए जिंदा रहना चाहिए। पुस्तक में बताया गया है कि वह इस कॉल से हैरान रह गईं और आधे घंटे तक फैसले में जूझती रहीं।

फेयरवेल स्पीच भी नहीं रिकॉर्ड कर पाईं शेख हसीना

हालांकि, राजभवन को छोड़ने से पहले शेख हसीना ने एक बांग्लादेश के लोगों के लिए एक फेयरवेल स्पीच रिकॉर्ड करने को कहा, लेकिन उनके सुरक्षा अधिकारियों ने इस रिक्वेस्ट को मना कर दिया। अधिकारियों को भय था कि किसी भी समय भीड़ राजभवन में घुस सकती है। इसके बाद कथित तौर पर शेख रेहाना अपनी बहन को एक कार से हेलीपैड तक ले गईं।

बताया जाता है कि दोपहर के करीब ढाई बजे एक हेलीकॉप्टर राजभवन से उड़ा और 12 मिनट बाद जगांव एयर बेस पर उतरा। इसके बाद दोपहर के 2.42 बजे एक C-170J कार्गो एयरक्राफ्ट वहां से उड़ गया और करीब 20 मिनट बाद मालदा के ऊपर से भारतीय एयरस्पेस में प्रवेश किया।

इसके बाद उसी शाम एक प्लेन दिल्ली के पास हिंडन एयरबेस पर उतरा। वहां पर भारत के एनएसए अजीत डोभाल शेख हसीना का इंतजार कर रहे थे, जिन्होंने हसीना को रिसीव किया और उन्हें एक सीक्रेट जगह पर ले गए।

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