शेर-ए-लुधियाना कप्तान ने फिर लिखी अपनी कहानी

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नई दिल्ली, न्यूज़ डेस्क : शेर-ए-लुधियाना एक बार फिर जोश के साथ सीज़न 2 में वापसी कर रहा है और लीग में दूसरे स्थान पर मजबूती से कायम है। टीम की कमान फिर से ताकतवर कप्तान तौहीद शेख के हाथों में है, जिनकी कड़ी पकड़ और जोश ही टीम की जान है। महज़ 25 साल की उम्र में, औरंगाबाद से निकले यह खिलाड़ी फिर से कप्तान बनकर लौटे हैं। तौहीद हर कदम पर न सिर्फ अपनी टीम की स्थिति बचा रहे हैं, बल्कि टाइटल जीतने की दिशा भी तय कर रहे हैं।

औरंगाबाद की धूल भरी गलियों से लेकर राष्ट्रीय मंच तक, तौहीद शेख असली चैंपियन हैं। सीज़न 1 में उन्होंने सिर्फ मुकाबला नहीं किया, बल्कि पूरी तरह जीत हासिल की, वह भी बिना हारे हुए। इसके साथ ही, फैंस, साथियों और दिग्गजों का सम्मान भी जीता। अपनी ताकतवर पकड़ और लगातार मेहनत के लिए पहचाने जाने वाले तौहीद ने बेहद कम समय में आर्म रेस्लिंग की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है।

साधारण परिवार में जन्मे तौहीद की यात्रा नहीं थी आसान

साधारण परिवार में जन्मे तौहीद की यात्रा आसान नहीं थी। जब दूसरे बच्चे खेल रहे होते थे, तब तौहीद दिन में स्थानीय मेकैनिक की तरह काम करते और पूरे हफ्ते जिम के उपकरण साफ करते थे, जिसके बदले में उन्हें सिर्फ 20 रुपए मिलते थे। पसीने और लोहे की खुशबू के बीच, तौहीद ने अपनी मंज़िल देखी। उनकी यात्रा उसी जिम में एक अनजानी लेकिन किस्मत बदलने वाली मुलाकात से शुरू हुई, जब उन्होंने मशहूर आर्म रेस्लर मिस्टर मजीत सिद्दीकी से मुलाकात की, जिन्हें उनके फैंस प्यार से मज्जू लाला कहते हैं। 2014 में, मज्जू लाला एक चैंपियनशिप जीतकर जिम में आए थे, और तौहीद उनकी दमदार छवि को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए।

मज्जू लाला ने कहा, “जब मैंने पहली बार तौहीद की आँखों में वह चमक देखी, तो सोचा था कि बस एक जिज्ञासु बच्चे को कुछ मज़ेदार टिप्स दे रहा हूँ। लेकिन, वह पल मेहनत और भरोसे के साथ एक बड़ी कहानी बन गया। जो शुरुआत में हल्की-फुल्की थी, वह असली मेंटरशिप बन गई। उसे आज खिलाड़ी बनते देखना मेरी ज़िंदगी का सबसे बड़ा इनाम है।” तब से तौहीद मज्जू लाला के कोच के तौर पर ट्रेनिंग कर रहे हैं। जब तौहीद ने पहली बार दोस्ताना जिम मैच में अपने गुरु का हाथ पकड़ा, मज्जू लाला ने कभी उसका हाथ नहीं छोड़ा।”

तौहीद शेख ने पहली बार 2016 में सभी का ध्यान खींचा, जब उन्होंने 15 साल के औरंगाबाद के युवा के रूप में राज्य स्तरीय आर्म रेस्लिंग मुकाबला किया। अपने शहर का नाम रोशन करते हुए, उन्होंने उसी साल पहला राज्य स्तरीय खिताब जीता। इसके बाद वे राष्ट्रीय चैंपियन, ऑल इंडिया ओपन चैंपियन बने और कई अन्य सम्मान हासिल किए। जीत दर जीत, साल दर साल उन्होंने ऐसा नाम बनाया कि आज उनके साथ मुकाबला करने के लिए प्रतियोगी हर संभव कोशिश करते हैं।

तौहीद औरंगाबाद में जिम के फर्श पर पोछा लगाता था

वह लड़का जो कभी औरंगाबाद में जिम के फर्श पर पोछा लगाता था, अब उसी शहर का एक लीजेंड बन गया है, जिसका ‘साई फिटनेस पॉइंट जिम’ के नाम से अपनी खुद की जिम है और जो मेहनत करने वालों को प्रेरित करता है। जो चीज उन्हें अलग बनाती है, वह सिर्फ कच्ची ताकत नहीं, बल्कि उनकी अडिग मानसिकता है। चाहे वह खुद पैसे देकर खेल रहे हों या अब मुकाबले के लिए भुगतान पा रहे हों, उनकी भूख कभी नहीं कम हुई। आर्म रेस्लिंग जैसे महँगे और कठिन खेल में, उनका जुनून हर मुश्किल को पार करने की ताकत देता है।

पिछले सीज़न में एक चोट ने उनकी रफ्तार को रोकने की कोशिश की, लेकिन एक घायल शेर के समान, वे पहले से भी ज्यादा तेज़ और मजबूत होकर वापस लौटे। अब, सीजन 2 में , वह हर मैच और हर विरोधी को जीतते हुए आगे बढ़ रहे हैं। शेर-ए- लुधियाना के मुख्य कोच येरकिन अलीमज़ानोव ने कहा , “तौहीद एक ताकतवर खिलाड़ी हैं, इसमें कोई शक नहीं। ऑफ-सीजन में भी उनके साथ काम करना मुझे बहुत पसंद है।

वर्षों में हमारा मजबूत रिश्ता बन गया है, और मैं उन पर पूरी तरह भरोसा करता हूँ। 30 से ज्यादा खिलाड़ियों की टीम का नेतृत्व करना आसान काम नहीं है, लेकिन वे हर दिन खुद एक मिसाल बनकर आगे बढ़ते हैं।” कोच की रणनीतिक मदद से वे और भी दमदार बन गए हैं। आज, वे सिर्फ एक खिलाड़ी नहीं बल्कि मजबूती, दबदबे और जीत की भावना का प्रतीक हैं, जिसे शेर-ए-लुधियाना अपनाना चाहता है।

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