वाराणसी,संवाददाता :अब गणेश चतुर्थी में चंद दिन बचे हैं। 19 सितंबर से शिव की नगरी काशी में गणेशोत्सव की धूम मचेगी। डेढ़ फीट से लेकर 16 फीट की आकर्षक मूर्तियां बन रही हैं। काशी मराठा समिति सरंक्षक संतोष पाटिल ने बताया कि इस बार भी महाराष्ट्र से लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति काशी आएगी।
गणेश चतुर्थी इस बार 19 सितंबर से शिव की नगरी काशी में गणेशोत्सव की धूम मचेगी। घर-घर में गणपति देव विराजेंगे। लोग महोत्सव की तैयारी जोर-शोर से कर रहे हैं। पंडाल आकार ले रहे हैं तो मूर्तिकार गणपति की मूर्तियों को अंतिम रूप देने में लगे हैं। इस बार लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति को चंद्रयान पर सवार कराया जाएगा।
काशी में पहली बार महाराष्ट्र की नारदीय कीर्तन होगा। नूतन बालाक मडंल के प्रवीण पटवर्धन ने बताया कि बताया कि नारदीय कीर्तन में प्रमुख कलाकार इंदौर के हैं। इसके अलावा पहली बार महाराष्ट्र की परंपरानुसार पद्यगान भी होगा। इसकी प्रतियोगिता भी कराई जाएंगी।
करीब एक दर्जन संस्थाएं विविध अनुष्ठान के साथ करती हैं आयोजन
सप्ताहभर चलने वाले इस महोत्सव में करीब एक दर्जन संस्थाएं विविध अनुष्ठान के साथ आयोजन करती हैं। अब गणेश चतुर्थी में चंद दिन बचे हैं। समितियां पंडलों को संवारने, पूजन की तैयारी और कार्यक्रमों के साथ स्कूली बच्चों के चयन कर रही हैं। हालांकि मूर्तियां एक माह पहले से ही बन रही हैं। डेढ़ फीट से लेकर 16 फीट की आकर्षक मूर्तियां बन रही हैं। वहीं, काशी में छप्पन विनायक स्थापित हैं।
इन सभी मंदिरों में सफाई व पूजन की तैयारी चल रही है। बड़ा गणेश मंदिर के पुजारी रामनाथ दुबे ने बताया कि गणेशोत्सव पर मंदिर दर्शन पूजन के लिए भक्तें की भीड़ बढ़ जाती है। इसको देखते हुए तैयारी भी की जाती है। काशी मराठा समिति सरंक्षक संतोष पाटिल ने बताया कि इस बार भी महाराष्ट्र से लालबाग के राजा की प्रतिमूर्ति काशी आएगी।
आसभैरव के पास स्थापित किया जाएगा। इस बार उनको चंद्रयान के सिंहासन पर विराजमान कराया जाएगा। नूतन बाल गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल के कोषाध्यक्ष प्रवीण बसंत पटवर्धन ने बताया कि इस बार सात दिन गणेश जी को घोड़ा, हाथी, मूसक आदि पर विराजमान कराया जाएगा।
126 वर्ष पुरानी है श्रीकाशी गणेशोत्सव कमेटी
काशी में दर्जनभर संस्थाएं गणेशोत्सव का आयोजन करती हैं। मगर सबसे पुरानी दो संस्थाएं हैं। इसमें श्रीकाशी गणेशोत्सव कमेटी 126 साल पुरानी है। इसके बाद नूतन बाल गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल 115 साल पुरानी संस्था है। बाकी 50 साल के नीचे हैं।