महाकुंभ 2025 : सुविधाएं और सुरक्षा बढ़ने से तीर्थ यात्रियों की संख्या वृद्धि

MAHAKUMBH-2025

प्रयागराज, संवाददाता : यूपी में धार्मिक पर्यटन तेजी के साथ बढ़ रहा है। अयोध्या, काशी और मथुरा के साथ महाकुंभ में आने वाले लोगों की संख्या कई गुना बढ़ी है। सुविधाओं के अभाव में पहले कुंभ स्नान दुरुह था। एक वर्ग इच्छा होते हुए भी कुंभ स्नान से वंचित रह जाता था। महाकुंभ में श्रद्धालुओं को दी जा रही सुविधाओं का असर है कि इस बार 40 करोड़ से ज्यादा लोग संगम में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित करेंगे। इन श्रद्धालुओं में 12 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु ऐसे होंगे, जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं। देश-विदेश के उद्योगपतियों का लगातार कुंभ क्षेत्र में आगमन और निवास इसी का संकेत है। सुगम व्यवस्थाओं का ही असर है कि आध्यात्मिक पर्यटन की ग्रोथ 15 फीसदी से ज्यादा हो गई है।

भारतीय प्रबंधन संस्थान (आईआईएम) इंदौर के प्राध्यापक प्रो. शेखर शुक्ला की स्टडी के मुताबिक प्रयागराज महाकुंभ केवल 45 दिन ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति और अर्थव्यवस्था के लिए मील का पत्थर साबित होगा। दुनिया में पहली बार ऐसे हुआ है जब किसी मेला या धार्मिक तीर्थाटन को नए नगर का दर्जा दिया गया हो।

प्रत्येक कुंभ के साथ 100 फीसदी की ग्रोथ

प्रो. शेखर शुक्ला के मुताबिक वर्ष 1977 से वर्ष 2025 तक के महाकुंभ पर आने वाले श्रद्धालुओं का डाटा देखें तो वर्ष 2013 से श्रद्धालुओं की संख्या निरंतर बढ़ती जजारही है। प्रत्येक कुंभ के साथ इसमें 100 फीसदी से ज्यादा की ग्रोथ दर्ज की जा रही है। वर्ष 2001 में जहां 7 करोड़ श्रद्धालुओं ने कुंभ स्नान किया था, वहीं ये संख्या बढ़कर वर्ष 2019 में 24 करोड़ हो गई। इस बार ये रिकार्ड 40 करोड़ से बनेगा। पिछले दस वर्ष में यूपी में हुए तीन कुंभ पर खर्च की गई धनराशि 1300 करोड़ से बढ़कर 7500 करोड़ रुपये हो गई है। साफ है कि यूपी में कुंभ को लेकर दी जा रही सुविधाओं में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है।

यात्रा सुगम और सुविधाजनक होने से कुंभ तक पहुंचने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या 35 देशों की आबादी के बराबर होने का आंकलन है। यूपी में आयोजित कुंभ मेले में बढ़ती गई तीर्थयात्रियों की संख्या
वर्ष संख्या
1977-1.5 करोड़
1983- 1.27 करोड़
1989- 2.9 करोड़
1995- 4.95 करोड़
2001- 7 करोड़
2007- 7 करोड़
2013- 12 करोड़
2019 -24 करोड़
2025- 40 करोड़ (अनुमान)

एक वर्ष में कुंभ पर 25 से ज्यादा शोध

आईआईएम प्रोफेसर के मुताबिक कुंभ में शोध कार्यों को लेकर दुनियाभर में रुचि बढ़ती जा रही है। वर्ष 2000 के बाद कुंभ या उससे जुड़े विषयों पर निरंतर शोध चल रहा है। वर्ष 2023-24 में स्कोपस डाटाबेस के अनुसार 25 से ज्यादा शोध कुंभ की थीम पर किए गए हैं। कुंभ के प्रति दुनियाभर के शोधकर्ताओं में बढ़ती रुचि बेहद महत्वपूर्ण है। साफ है कि कुंभ न केवल धार्मिक या आध्यात्मिक उत्सव ही नहीं है बल्कि उसका सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व भी है।

15 फीसदी की दर से बढ़ रहा आध्यात्मिक पर्यटन
प्रोफेसर शुक्ला ने बताया कि कुंभ की वजह से बुनियादी सुविधाओं और बुनियादी ढांचे पर खर्च की गई धनराशि उत्तर प्रदेश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान देगा। देश में धार्मिक पर्यटन के सबसे बड़े केंद्र के रूप में यूपी उभरेगा। वैश्विक कंपनी कोहेरेंट मार्केट इनसाइट्स के मुताबिक यहां आध्यात्मिक पर्यटन 15 फीसदी सालाना की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2030 तक 3200 मिलियन डालर का बाजार होगा, जिसमें यूपी की भागीदारी सबसे बड़ी होगी।

India’s cricketers will score 200 against New Zealand Designs of Mehendi for Karwa Chauth in 2024 Indian Women’s T20 World Cup Qualifiers Simple Fitness Advice for the Holidays Top 5 Business Schools in the World