लखनऊ, संवाददाता : उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक (उज्जीवन एसएफबी) को उसकी अभिनव और समावेशी पहल ‘साउंड ऑफ दिवाली’ के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (आईबीआर) प्रमाणपत्र से सम्मानित किया गया है। यह रिकॉर्ड दृष्टिबाधितों के लिए सबसे बड़े ऑडियो दिवाली ग्रीटिंग्स वितरण अभियान के रूप में दर्ज हुआ, जिसमें 7 शहरों के 800 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस पहल ने दिवाली को दृष्टिबाधित समुदाय के लिए भी वास्तव में समावेशी त्यौहार बनाने की दिशा में बैंक के नवाचारी और अभिनव दृष्टिकोण को प्रदर्शित किया।
जहाँ अधिकांश लोग दिवाली की जगमगाती रोशनी और दीयों की चमक के बीच त्योहार का आनंद लेते हैं, वहीं दृष्टिबाधित समुदाय के लिए यह पर्व ध्वनियों के माध्यम से हँसी, पटाखों की आवाज़, घंटियों की झंकार और शुभकामनाओं के सुरों से जीवंत होता है। इसी सोच से प्रेरित होकर उज्जीवन का ‘साउंड ऑफ दिवाली’ अभियान तैयार किया गया, जिसने प्रकाश के इस त्यौहार को ध्वनि-आधारित उत्सव में बदल दिया, ताकि जो लोग दिवाली को अलग तरीके से महसूस करते हैं, उनके जीवन में भी खुशियाँ लाई जा सकें।
अभियान का मुख्य आकर्षण थे विशेष रूप से तैयार किए गए साउंड दीए
अभियान का मुख्य आकर्षण थे विशेष रूप से तैयार किए गए साउंड दीए, ऐसे ऑडियो-सक्षम दीए, जिनमें दृष्टिबाधितों के लिए रिकॉर्ड की गई दिवाली शुभकामनाएँ थीं। दिल्ली और उत्तर प्रदेश में लगाए गए अनुभव-आधारित केंद्रों पर नागरिकों को आमंत्रित किया गया कि वे प्रेम, आशा और खुशी से भरे व्यक्तिगत संदेश रिकॉर्ड करें। हर रिकॉर्ड किया गया दीया एक डिजिटल मैक्सिमा स्क्रीन पर प्रतीकात्मक रूप से जलाया गया, जहाँ यह दिखाया गया कि कैसे हर संदेश मिलकर सामूहिक आनंद फैलाता है।
इसके अलावा, विशेष रूप से तैयार साउंड ऑफ दिवाली वैन उत्तर प्रदेश भर में घूमी, जहाँ विज़िटर्स ने वर्चुअल रियलिटी (वीआर) तकनीक के ज़रिए एक अनोखा अनुभव प्राप्त किया। प्रतिभागी जब वीआर ज़ोन में गए, तो उन्हें उम्मीद थी कि वे रंग-बिरंगी दिवाली देखेंगे, लेकिन सामने आई काली स्क्रीन और केवल उत्सव की ध्वनियाँ, जिससे उन्हें एहसास हुआ कि दृष्टिबाधित लोग दिवाली को कैसे महसूस करते हैं। इस अनुभव का गहरा संदेश था- “कुछ लोगों के लिए दिवाली ऐसी होती है, खुशियों की आवाज़ तो सुनाई देती है, लेकिन रोशनी दिखाई नहीं देती।”
अंत में प्रतिभागियों को आमंत्रित किया गया कि वे किसी ऐसे व्यक्ति के लिए शुभकामना रिकॉर्ड करें, जो रोशनी नहीं देख सकता, ताकि वे एक सच्चे समावेशी उत्सव का हिस्सा बन सकें।

 
							 
			 
			 
			