वाराणसी, संवाददाता : भगवान बुद्ध की प्रथम उपदेश स्थली सारनाथ में बोधि वृक्ष (पीपल) के दर्शन करने के लिए देश ही नहीं विदेशों से भी हजारों लोग आते है। मगर, वह वृक्ष दिन-प्रतिदिन टूट कर गिर रहा है। इसे अब वन विभाग विरासत के रूप में सहेज रहा है। इतना ही नहीं वृक्ष से गिरने वाली पत्तियों को भी वन विभाग सहेज रहा है। उन पत्तियों का ऐतिहासिक महत्व बताते हुए विदेशियों को उपहार स्वरूप दिया जाएगा।
बोधि वृक्ष अपनी पीढ़ी का चौथा पेड़ है। इसके साथ ही भगवान बुद्ध के सारनाथ में प्रथम उपदेश से जुड़ा है। इसी वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान बुद्ध ने अपने पहले पांच शिष्यों को उपदेश दिया था। बाद में इस पेड़ का एक हिस्सा ले जाकर श्रीलंका में लगाया गया था।
वर्ष 1931 में श्रीलंका से पेड़ की एक शाखा सारनाथ ले आई गई और उसे मूलगंध कुटी विहार बौद्ध परिसर में लगा दिया गया। तभी से देश-विदेश से आने वाले बौद्ध अनुयायी यहां आकर दर्शन-पूजन कर पेड़ की परिक्रमा करते रहते हैं। अभी तक इसके पत्ते ले जाकर लोग अपने घरो , पुस्तक या पूजाघर में रखते हैं। मगर, अब इन पत्तियों को वन विभाग ही सुरक्षित कर रहा है।
बोले अधिकारी
डॉ. रवि कुमार सिंह, वन संरक्षक ने बताया कि बोधि पेड़ के उपयोग और महत्व को देखते हुए इसकी पत्तियों से गिफ्ट बनाने की योजना बनाई जा रही है। विदेशियों को विशेष रूप से ये गिफ्ट दिया जाएगा, जिससे वह अपने देश ले जाकर इस पेड़ के महत्व को बताएं।