रायटर, यरुशलम : इजरायली सेना और हमास के बीच गाजा पट्टी में जबरदस्त लड़ाई चल रही है। इजरायल और हमास की लड़ाई में आम लोग पिस रहे हैं। फलस्तीनी लोग जान बचाने के लिए मिस्र में घुसने का प्रयास कर रहे हैं। सभी फलस्तीनियों को इजरायली सेना मिस्र की सीमा के नजदीक रफाह में भेज रही है। वैसे पूरी गाजा पट्टी को इजरायली सेना ने दो माह से घेर रखा है और जमीन, आकाश व समुद्र से लगातार हमले कर रही है। लगातार चल रही लड़ाई के बीच 23 लाख फलस्तीनियों का अब गाजा में रहना नामुकिन हो गया है।
18,205 लोगों के मारे जाने और हजारों लोगो के लापता होने के बाद भुखमरी से जूझ रहे फलस्तीनी जान बचाने के लिए मिस्र देश जाने की कोशिश में हैं क्योंकि वही एक मात्र ऐसा देश हैं जहां जाना उनके लिए सबसे कम मुशिक्ल है। इस बीच दक्षिणी गाजा के खान यूनिस शहर और उत्तर के जबालिया शरणार्थी शिविर सहित कई स्थानों पर भीषण लड़ाई चल रही है। गाजा में इजरायली सेना से लड़ाई के साथ ही हमास के लड़ाके तेल अवीव सहित इजरायल के कई शहरों पर राकेटो से हमला कर रहे हैं। लेखक अजीज आलमअसरी ने फेसबुक पर लिखा है कि अब हम युद्ध का दूसरा चरण झेल रहे हैं। इसमें युद्धविराम की संभावना बहुत ही कम हैं।
गाजा में छिड़ी भीषण जंग, इजरायल पर दागे राकेट
लोग भूख से जूझ रहे हैं और रोजमर्रा की चीजों के लिए तरस रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक , गाजा पट्टी की 85 प्रतिशत आबादी (19 लाख लोग) अपना घर छोड़ चुके हैं। इजरायली हमलों में उनके घर बर्बाद हो चुके हैं या फिर उन लोगो ने जान बचाने के लिए घर छोड़ कर भाग गए है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस के मुताबिक गाजा पट्टी के लोग जल्द ही भुखमरी और कई बीमारियो के चपेट में आने की आशंका व्यक्त किया है। इसके कारण विस्थापितों के मिस्र में घुसने के आसार बन गए हैं। लेकिन मिस्र ने विस्थापित फलस्तीनियों को अपनी देश की सीमा के भीतर आने की अनुमति देने से मना कर दिया है।
क्योंकि उसे आशंका है कि एक बार आने के बाद फलस्तीनी वापस अपने मूल ठिकानों पर नहीं जायेंगे । इससे मिस्र की कानून व्यवस्था की स्थिति पर असर पड़ेगा और इजरायल से उसके संबंध ख़राब हो जायेंगे । इस बीच इजरायल ने इन आरोपों से मना कर दिया है कि वह गाजा को खाली कराने में लगा है, इसीलिए फलस्तीनी आम लोगो को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें बेघर बनाया जा रहा है। इजरायल पर यह आरोप पड़ोसी देश जार्डन ने लगाया है जहां 1948 में इजरायल के गठन के बाद दसियों हजार फलस्तीनी पहुंचे और अभी तक वहीं पर रह रहे हैं।