नई दिल्ली,एनएआई : देश के पुराने बांधों की सुरक्षा पर एक संसदीय समिति ने चिंता व्यक्त किया है। संसदीय समिति के मुताबिक भारत में 234 बड़े बांध हैं जो 100 साल से अधिक पुराने हैं। उनमें से कुछ बांध ऐसे हैं, जिन्हें निर्मित हुए 300 वर्ष हो गए हैं, लेकिन आज तक इनमें से किसी भी बांध को सेवामुक्त नहीं किया गया है।
जल शक्ति मंत्रालय ने की सिफारिश
संसदीय समिति ने 20 मार्च को संसद को एक रिपोर्ट दी है। जल शक्ति मंत्रालय ने सिफारिश की है कि बांधों की उम्र और संचालन का आकलन करने और एक व्यवहार्य तंत्र विकसित किया जाये इसके साथ उपयुक्त उपाय किए जाने चाहिये और राज्यों को उन बांधों को बंद करने के लिए तैयार किया जाए। जो बाँध अपनी उम्र पूर्ण कर चुके हैं।
दरअसल, बांध को रिटायर्ड करना एक बहुत जटिल प्रक्रिया है, जिसमें जल-विद्युत उत्पादन सुविधाओं को हटाना और जलग्रहण क्षेत्रों में पारिस्थितिक रूप से व्यवहार्य हस्तक्षेपों के माध्यम से नदी चैनलों को फिर से बनाना शामिल है। चूंकि बांधों की एक निश्चित जीवनकाल है, इसलिए अमेरिका सहित कुछ देशों ने अपने बांधों को बंद कर दिया है और नदियों के प्राकृतिक जल प्रवाह को बहाल कर दिया है।
जबकि , बांधों को आम तौर पर 100 वर्षो की उम्र के लिए डिजाइन किया जाता है और उनका कार्यात्मक जीवन भी प्रगतिशील जलाशय के साथ-साथ परियोजना लाभों को कम करने के साथ कम हो जाता है, लेकिन भारतवर्ष में अभी तक किसी भी बांधों को रिटायर्ड नहीं किया गया है।
बांध सुरक्षा रहा एक बड़ा मुद्दा
देश में बांध सुरक्षा हमेशा से एक मुद्दा रहा है, जिनमें गुजरात के मोरबी का माचू बांध शामिल हैं। गुजरात में 36 बांध आपदाएं आई हैं, जहां 1979 में लगभग 2,000 लोगो की मृत्यु हो गई और 12,000 से ज्यादा मकान नष्ट हो गए थे।
जलशक्ति मंत्रालय ने समिति को सूचित किया है कि बांधों के व्यवहारिक जीवन और कार्य का आकलन करने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। जबकि , बांधों का रोजना रखरखाव उनके स्वास्थ्य मूल्यांकन और सुरक्षा के लिए किया जाता है। बांध ज्यादातर राज्य सरकारों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू)/निजी एजेंसियों के रखरखाव करते हैं, जो अपने अधिकार क्षेत्र के बांधों के संचालन और रखरखाव कार्यों को पूर्ण करते हैं।