वाराणसी , संवाददाता : सूर्य उपासाना के सबसे बड़े त्योहार छठ की पूजा सिर्फ लोक पर्व ही नहीं बल्कि शास्त्री त्योहार भी है। क्योंकि इसके पूजा के प्रमाण 3000 साल से भी पहले के हैं। वैदिक काल में महिलाएं सूर्य को देवी मानकर पूजा करतीं थीं। विश्वामित्र द्वारा रचित गायत्री मंत्र ॐ भूर्भुवः स्व: भी इसका एक प्रमाण है। सूर्य को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का भी मंत्रोच्चार किया जाता था। इस मंत्र में भी सवितु शब्द सूर्य के तेज से जुड़ा हुआ है। बाद में वैदिक साहित्य में सूर्य गायत्री मंत्र भी आ गया।
यह अध्ययन बीएचयू के पूर्व वैज्ञानिक प्रो. राणा पीबी सिंह ने लंबे समय तक छठ पूजा के रिवाजों पर सर्वे और शोध करते हुए वैदिक शास्त्रों को खंगालकर किया है। उन्होंने सूर्य पूजा के प्रमाण से जुड़े मंत्रों को समझकर इसे छठ पूजा के ही समान बताया।
रोचक है इस पर्व का इतिहास
प्रो. सिंह ने ये भी बताया कि सबसे पहले छठ पूजा पर सबसे पहले 1958 में रोमानिया के प्रसिद्ध विद्वान प्रो. मर्सिया इलियाड ने काम किया था। बताया था कि इस पूजा की चर्चा ऋग्वेद के तीसरे मंडल में है। इसे आज के वैज्ञानिक युग में भी मान्यता मिल चुकी है। भारत के अलावा मातृ रूप सूर्य पूजा विदेशों में भी शुरू हो गई। इसमें सूरीनाम, गयाना, फिजी, मॉरीशस, दक्षिणी अफ्रीका, हॉलैंड, उगांडा, जर्मनी, इंग्लैंड और अमेरिका जैसे देश शामिल हैं।
प्रो. सिंह ने बिहार का मुख्य पर्व बनने के पीछे वजह बताया कि औरंगाबाद और देवार्क के प्राचीन सूर्य मंदिर में मिले नौवीं और 10वीं शताब्दी के शिलालेखों में सूर्य पूजा को मातृ पूजा के रूप में अंकित किया गया है। इसी के साथ ही सबसे ज्यादा राजवंशों वाले क्षेत्र मगध की वजह से बिहार में इस पूजा को करने वालों की सबसे ज्यादा संख्या है। ऐसे में ये सिर्फ बिहार का लोकपर्व नहीं बल्कि राष्ट्रीय शास्त्रीय त्योहार है क्योंकि तब पूरे भारत का संचालन यहीं से होता था।
छठ पूजा से चर्म रोग दूर करने का दावा
डॉ. सिंह के साथ कई दूसरे वैज्ञानिक मिलकर इसके कई वैज्ञानिक फायदों को भी बताया है। सूर्य षष्ठी पर सूर्य की किरण में स्नानकर अर्घ्य देने पर चर्म रोग दूर होते हैं। दो दिनों तक लोग एक दूसरे के बीच प्रतिरोधक क्षमता साझा करते हैं।
सूर्य की पूजा से त्वचा से जुड़े खासकर कुष्ठ रोगों से राहत मिलती है। इसलिए व्रती महिलाओं के साथ पुरुष भी बड़ी संख्या शामिल होते हैं। साल 2009 तक छठ पूजा को लेकर कई शोधकर्ताओं ने ऐसे मरीजों का सर्वे किया है जिससे चर्म रोगों से राहत मिली है। प्रो. सिंह ने बताया कि 36 घंटे के कड़े उपवास से शरीर का शुद्धिकरण भी होता है।
