कानपुर, संवाददाता : होली में जिन लोगों को किसी कारण से रंग लगाने की तमन्ना पूर्ण न हो सकी। गंगा मेला में सबसे पहले उन् लोगो को रंग लगाकर कानपूर वालो ने अपनी इच्छा पूर्ण किया। इसके साथ ही, यह भी बोलै , होली में तो छोड़ दिया था… लेकिन आज न छोड़ेंगे और इतना कहते ही गालों में रंग और गुलाल लगा दिया । ये नजारा शनिवार को शहर की ज्यादातर की गलियों में आम रहा। सुबह से ही बच्चों ने पिचकारी और रंग लेकर गलियों में निकल पड़े और शुरू हुआ लोगों को रंगने का दौर।
छतों से मारे पानी भरे गुब्बारे
गोविंद नगर, रतनलाल नगर, गुजैनी,बर्रा , किदवई नगर, जूही, नौबस्ता, अंबेडकर नगर और में घरों की छतों से बच्चे सड़क से निकलने वाले हर व्यक्ति को पानी भरे गुब्बारों से अपना निशाना लगाते । कई बार निशाना सही लग जाता तो सामने वाला रंगों से गिला हो जाता और कई बार निशाना चूक जाने पर बच्चे दुबारा उस व्यक्ति पर निशाना लगाने की प्रयास करते, मगर व्यक्ति बचकर निकल जाता। रंग पड़ने से कोई चिल्लाकर कुछ कहना चाहता, तो यह बच्चे बुरा न मानो होली है कहकर शोर मचाने लगते।
बड़े-बुजुर्गों का लिया आशीर्वाद
दोपहर को रंग खेलने का सिलसिला थमा,तो कई क्षेत्रो में लोगों ने परिवार सहित अपने परिचित, पारिवारिक जनों और रिश्तेदारों के घर जाकर उनसे भेंट कर और बड़े-बुजुर्गों से पैर छू कर आशीर्वाद लिया।
फिर चला गुझिया- पापड़ का दौर
होली की तरह गंगा मेला में भी ज्यादातर घरों में मेहमानों का स्वागत गुझिया और पापड़ से किया गया। बातों की चर्चा का केंद्र भी यही रहा कि किसने किसको और कैसे रंग लगाया। कोई ससुराल की होली के किस्से बता रहा था, तो कोई दोस्तों संग किए गए धमाल के किस्से । सबसे ज्यादा जीजा-साली और देवर-भौजाई की होली के किस्से चटखारे लेकर सुने गए।