मेरठ, संवाददाता : इसको विडंबना ही कहा जाएगा कि देश के नामचीन महाविद्यालयों में शामिल मेरठ कॉलेज के विद्यार्थी तपती दोपहर में जमीन पर बैठकर पढ़ने के लिए मजबूर हैं। यह मजबूरी महाविद्यालय में शिक्षण कक्ष या फर्नीचर आदि के कारण नहीं, बल्कि यहां आए दिन होने वाली परीक्षाओं के कारण है। छात्रों की 20 मई से परीक्षाएं हैं, लेकिन एक चौथाई कोर्स भी पूर्ण नहीं हुआ है।
बाहरी परीक्षाएं के आयोजन के चलते कक्ष में जगह नहीं
बुधवार को मेरठ कॉलेज में एक शिक्षक पत्थर की बेंच पर बैठकर जमीन में बैठे चार विद्यार्थियों को पढ़ा रहे थे। लॉ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर एमपी शर्मा ने कहा कि मेरठ कालेज में इस सत्र के दौरान बाहरी परीक्षाएं ज्यादा आयोजित हो रही हैं। इसके चलते कक्ष खाली नहीं रहते हैं।
उन्होंने कहा कि कई बार लाइब्रेरी में जाकर शिक्षण कार्य किया गया, लेकिन आज वहां पर पहले से ही कई कक्षाएं संचालित थी। ऐसे में मजबूरी में उन्हें यहां कक्षा संचालित करनी पड़ी। एमपी शर्मा ने कहा कि जो छात्र पढ़ रहे हैं, वह एलएलएम द्वितीय सत्र के छात्र हैं।
इनका इस सत्र में अभी तक सिलेबस आधा भी पूर्ण नहीं हुआ है। मात्र चार ही विद्यार्थियों की संख्या पर उन्होंने बताया कि छात्रों की संख्या ज्यादा है, लेकिन आए दिन कक्षा संचालन न होने से अब छात्रों ने आना भी बंद कर दिया है। आज इन छात्रों ने पढ़ाई के लिए जोर दिया तो यहीं पर कक्षा संचालित कर दी।
प्रोफेसर ने कहा कि आए दिन होने वाली परीक्षाओं से अब ऐसा लगता है। कि उनकी नियुक्ति भी पढ़ाने के लिए नहीं बल्कि शिक्षण कार्य के लिए हुई है। प्राचार्य भी परीक्षाओं के कारण अपनी मजबूरी बताकर पल्ला झाड़ लेती हैं। छात्रों की 20 मई से परीक्षा हैं। कोर्स अभी काफी रह गया है।
बाहर क्यों पढ़ाया,इसका मांगा जाएगा जवाब
कॉलेज में कक्षाएं चल रही हैं, लेकिन कई कमरे खाली हैं। प्रोफेसर को अलग से भी कमरा दिया हुआ है। वह वहां पर जाकर पढ़ा सकते थे। उन्होंने छात्रों को बाहर क्यों पढ़ाया, इसके बारे में प्रोफेसर से जवाब लिया जाएगा। – अंजलि मित्तल, प्रिंसिपल, मेरठ कॉलेज