आईसीडीएस की 50वीं वर्षगाँठ पर ‘बचपन का त्यौहार’ का किया आयोजन

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भोपाल, संवाददाता : एकीकृत बाल विकास सेवाओं (आईसीडीएस) की 50वीं वर्षगाँठ के उपलक्ष्य में, की एजुकेशन फाउंडेशन (केईएफ) ने एक विशेष कार्यक्रम ‘बचपन का त्यौहार’ का आयोजन किया, जिसने 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए आनंदमय शिक्षा का परिपोषण करने वाले स्थान के रूप में आँगनवाड़ियों का उत्सव मनाया।

मध्य प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग की अपर मुख्य सचिव , श्रीमती रश्मि अरुण शमी, आईएएस, ने इस अवसर पर मुख्य भाषण दिया। इस कार्यक्रम में ‘बचपन का त्यौहार’ नामक एक कहानी-पुस्तक का आधिकारिक विमोचन भी हुआ, जो आँगनवाड़ियों के देखभाल और प्रारंभिक शिक्षा के आनंददायक केंद्रों के रूप में जीवंत विकास को दर्शाती है।

खेल सीखने का सबसे अच्छा तरीका है – रश्मि अरुण शमी

श्रीमती रश्मि अरुण शमी, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, मध्य प्रदेश, ने कहा, “खेल सीखने का सबसे अच्छा तरीका है और बच्चे यह बिना जाने ही सीख जाते हैं। यह उनके साथ रहता है और खासकर छोटे बच्चों के लिए, यह उनके बचपन का आनंद लेने का सबसे अच्छा तरीका है और माता-पिता के लिए भी इसमें शामिल होने का एक बेहतरीन तरीका है। हमारे आँगनवाड़ी केंद्र इसे और भी बेहतर बना सकते हैं, ताकि हर बच्चा फल-फूल सके।”

पिछले तीन वर्षों में, छतरपुर, जो कि एक आकांक्षी जिला है, महिला एवं बाल विकास विभाग और केईएफ के संयुक्त प्रयासों से प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा में उल्लेखनीय परिवर्तन देख रहा है। इस कार्यक्रम में क्षेत्रीय टीमों, आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सागर के जिला मजिस्ट्रेट सहित जिला प्रमुखों ने अपनी यात्रा और अनुभवों को प्रदर्शित करने के लिए भाग लिया। छतरपुर की एक गौरवान्वित आँगनवाड़ी कार्यकर्ता ने कहा, “हम सिर्फ बच्चों को पढ़ाने तक ही सीमित नहीं हैं, बल्कि हम भी उनसे हर दिन सीखते हैं। यह मेरे केंद्र में आने वाले बच्चों, उनके अभिभावकों, सरकारी विभाग और समुदाय के बीच एक मजबूत बंधन और जोश भरा सहयोग है।”

आँगनवाड़ी केंद्र, जो अक्सर ग्रामीण भारत की शिक्षा का आधार होते हैं , बच्चों को जुड़ाव, जिज्ञासा और सामूहिक देखभाल का एक विरल आवरण प्रदान करते रहते हैं। बाल चौपालों और बैठकों के माध्यम से, समुदायों ने प्रत्येक बच्चे की क्षमता को परिपोषित करने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई है। इस आंदोलन के एक हिस्से के रूप में, ‘बचपन का त्यौहार’ ने नीति निर्माताओं, शिक्षकों और नागरिकों से बचपन को परिभाषित करने वाले इन स्थानों में निवेश करने और उन्हें संरक्षित करने का आह्वान किया।

‘बचपन का त्यौहार’ छतरपुर जिले में मनाए जाने वाले ‘बचपन मनाओ त्यौहार’ से प्रेरित

‘बचपन का त्यौहार’ छतरपुर जिले में मनाए जाने वाले ‘बचपन मनाओ त्यौहार’ से प्रेरित है, जिसने पूरे समुदाय को बच्चों और बचपन के इर्द-गिर्द एकजुट किया। इस पुस्तक की संकल्पना केईएफ और ‘बचपन मनाओ’ द्वारा की गई थी, और इसे एकस्टेप फाउंडेशन द्वारा शुरू किया गया था। यह पुस्तक उन आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और समुदायों के प्रति सम्मान व्यक्त करती है, जो बच्चों को विकसित और फलने-फूलने में सक्षम बनाते हैं। बचपन का त्यौहार सिर्फ एक प्रकाशन नहीं है, बल्कि यह आँगनवाड़ियों को भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति और सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप प्रमुख शिक्षण केंद्रों के रूप में मान्यता देने का आह्वान है।

की एजुकेशन फाउंडेशन की सह-संस्थापक, श्वेता गुहान ने कहा, “यह कहानी उन सभी आँगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को श्रद्धांजलि है जो साधारण जगहों को आनंद और शिक्षा के परिवेश में बदल देती हैं। अब समय आ गया है कि उनकी कहानी सुनाई जाए।”

की एजुकेशन फाउंडेशन (केईएफ) के बारे में: बेंगलुरु स्थित केईएफ सरकारी स्कूलों और आँगनवाड़ियों में प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए काम करता है। मध्य प्रदेश में, केईएफ छतरपुर और सागर में महिला एवं बाल विकास विभाग के साथ मिलकर खेल-आधारित शिक्षा, शिक्षक विकास और अभिभावकों की भागीदारी को मजबूत करता है।

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