नई दिल्ली, संवाददाता : वरिष्ठ पत्रकार, लेखक एवं सुदर्शन न्यूज़ चैनल के प्रधान संपादक धर्म योद्धा डॉ. सुरेश चव्हाणके द्वारा लिखित पुस्तक “कैसे बने इस्लामी देश” का भव्य विमोचन नई दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित “सनातन राष्ट्र का शंखनाद” कार्यक्रम के दौरान संपन्न हुआ। यह विमोचन अपने आप में एक ऐतिहासिक क्षण बन गया, जब पुस्तक की पहली आवृत्ति की 2,000 प्रतियां मात्र एक घंटे के भीतर पूर्णतः समाप्त हो गईं।
यह पुस्तक विश्व के 58 मुस्लिम देशों के बनने की प्रक्रिया का वर्ष-दर-वर्ष घटित घटनाक्रमों के साथ गहन, तथ्यात्मक और विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करती है। पुस्तक की विशेषता यह है कि इसमें वैश्विक घटनाओं के साथ-साथ भारत में घटित समानांतर घटनाओं का तुलनात्मक विश्लेषण किया गया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत में भी वही प्रक्रियाएँ किस प्रकार क्रमिक रूप से आगे बढ़ रही हैं। इस प्रकार का समग्र, संदर्भ-आधारित और तुलनात्मक अध्ययन अब तक विश्व में किसी एक पुस्तक में उपलब्ध नहीं रहा है।
पुस्तक का विमोचन VHP के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार ने किया
पुस्तक का विमोचन विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आलोक कुमार जी एवं जगद्गुरु शांति गिरी महाराज जी के करकमलों द्वारा दोपहर 1 बजे किया गया। विमोचन के पश्चात दोपहर 2 बजे से पहले ही पुस्तक की पहली आवृत्ति की सभी प्रतियां बिक चुकी थीं। इस अभूतपूर्व घटना को “इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स” द्वारा भी संज्ञान में लिया गया है तथा इसे अपनी आधिकारिक रिपोर्ट में शामिल करने की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है।
“सनातन राष्ट्र का शंखनाद” कार्यक्रम में देशभर से लगभग 1,000 संगठनों के 3,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने सहभागिता की। कार्यक्रम के दौरान पुस्तक पर अपने विचार रखते हुए डॉ. सुरेश चव्हाणके ने स्पष्ट किया कि किसी भी देश के इस्लामीकरण की एक पाँच-स्तरीय प्रक्रिया होती है, और उनके विश्लेषण के अनुसार भारत वर्तमान में तीसरे एवं चौथे चरण की संयुक्त स्थिति में प्रवेश कर चुका है। उनके तथ्यप्रधान, आक्रामक और चेतावनीपूर्ण संबोधन के पश्चात उपस्थित जनसमूह ने पुस्तक को अभूतपूर्व उत्साह के साथ ग्रहण किया।
यह पुस्तक “जनसंख्या जिहाद” श्रृंखला के अंतर्गत प्रकाशित की गई है, जिसके अंतर्गत आगामी समय में और भी महत्वपूर्ण पुस्तकों के प्रकाशन की योजना है। “कैसे बने इस्लामी देश” पुस्तक प्रिंट संस्करण के साथ-साथ सभी प्रमुख डिजिटल एवं ऑनलाइन फॉर्मेट्स में भी उपलब्ध करा दी गई है, ताकि यह अधिकतम पाठकों तक पहुँच सके। सुरेश चव्हाणके जी ने बुद्धिजीवी समुदाय से इस पुस्तक पर चर्चा की अपील की है।
