लखनऊ,रिपब्लिक समाचार,ब्यूरो: केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार के तमाम कार्यों की झांकी दिखाकर भाजपा, शहरों की सरकार पर अपनी पकड़ और मजबूत बनाने में सफल रही है। पहले से कहीं अधिक शहरों में कमल खिलने से ट्रिपल इंजन सरकार के बढ़े दम पर भगवा दल के लिए अब मिशन 2024 की राह और आसान होती दिखाई दे रही है।
योगी बूथ स्तर तक गए
शानदार परिणाम ने अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए 2014 के नतीजे दोहराने की उम्मीद बढ़ा दिया है। जबकि, आगामी लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल कहे जाने वाले नगर निकाय चुनाव को लेकर आमतौर से सत्ताधारी भाजपा ने अबकी बार कोई कोर-कसर नहीं छोड़ा था । उत्तर प्रदेश में 25 करोड़ की जनसंख्या वाले प्रदेश की एक-चौथाई आबादी के छोटे-बड़े शहरों तक में भगवा परचम फहराने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर पार्टी संगठन के बूथ स्तर तक के पदाधिकारियों ने क्षेत्र में खूब पसीना बहाया।
एमएलए ,एमपी चुनावों की तरह नगर निकाय में बनाई रणनीति
भाजपा की केंद्र या राज्य में बहुमत की सरकार न होने पर भी सूबे के निकायों में पार्टी का वर्चस्व रहा है। खासतौर से ज्यादातर नगर निगमों में पार्टी का ही वर्चस्व बना रहा है। जबकि , वर्ष 2014 में केंद्र और फिर वर्ष 2017 में राज्य में प्रचंड बहुमत की सरकार बनाने वाली भाजपा पिछले निकाय चुनाव में वैसी सफलता हासिल करने में कामयाब नहीं रही थी। ऐसे में विधानसभा चुनाव में भगवा झंडा फहराने के बाद से भाजपा की नजर निकाय चुनाव पर लगी थी। वैसे तो निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दों पर ही होते हैं, लेकिन भाजपा ने इसमें विजय की रणनीति एमएलए और एमपी चुनावों की तरह बनाई।
लोकसभा चुनाव में भी मिलेगा लाभ
निकाय चुनाव में भाजपा के बेहतर प्रदर्शन से स्पष्ट है कि शहरवासियों को कहीं न कहीं ट्रिपल इंजन सरकार के फायदे और ताकत का एहसास है। ऐसे में कहा जा रहा है कि ट्रिपल इंजन सरकार के दम पर अब भाजपा के लिए मिशन 2024 की राह और आसान होगी। ट्रिपल इंजन सरकार के दम का पूरा फायदा मिलता रहे इसके लिए प्रदेशवासी, लोकसभा चुनाव में भी विपक्षियो की ओर शायद ही देखना चाहें।
जबकि वर्ष 2014 में 80 लोकसभा सीटों में से सहयोगी संग 73 सीटें जीतने वाली भाजपा को पिछले चुनाव में सपा-बसपा गठबंधन के चलते 64 सीटों पर ही सफलता मिली थी। अब सपा-बसपा गठबंधन टूट चुका है। पिछले विधानसभा चुनाव में एक सीट पर सिमटने वाली बसपा निकाय चुनाव में भी धाराशायी हो गई है। तमाम दावों के बावजूद मुख्य विपक्षी पार्टी सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के भी ऐसे नतीजे नहीं हैं जिससे लगे कि लोकसभा चुनाव में इनके द्वारा कोई कमाल किया जा सकता है।