देहरादून,ब्यूरो : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए तेजी से कदम बढ़ रहे हैं। विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट बनाने का कार्य पूरा कर लिया है। सूत्रों की मानें तो इस ड्राफ्ट में पुत्री को संपत्ति में बराबर का अधिकार देने, बहुविवाह प्रथा पर रोक लगाने, तलाक को विधि सम्मत बनाने आदि की व्यवस्था की जा सकती है। ड्राफ्ट में समाज से जुड़े कई बिंदुओं का समावेश भी किया गया है। चलन से बाहर हो चुके कानूनों को इसमें हटाए जाने की संस्तुति की गई है।पुत्री को भी संपत्ति में दिया जा सकता है अधिकारउत्तराधिकार के लिए पुत्र व पुत्री के लिए समान व्यवस्था की जा सकती है। यानी, बेटी को भी संपत्ति में अधिकार दिया जाएगा।
सभी धर्मों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु एक समान
पहली पत्नी के बच्चों को भी बराबर का अधिकार देने की व्यवस्था की जा सकती है। पति की मृत्यु होने पर पत्नी के साथ माता-पिता को भी मुआवजा देने की व्यवस्था संभव है। विवाह के संबंध में व्यवस्थासूत्रों के अनुसार समिति ने ड्राफ्ट में विवाह को लेकर आयु सीमा तय करने की संस्तुति की है। सभी धर्मों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु एक समान रहेगी।
माना जा रहा है कि केंद्र द्वारा लोकसभा में लाए गए बाल विवाह निषेध संशोधन अधिनियम के अंतर्गत बालिका के विवाह की आयु 21 वर्ष की जा सकती है। साथ ही इसमें विवाह का पंजीकरण अनिवार्य की व्यवस्था हो सकती है, ताकि इसे कानूनी आधार दिया जा सके। बहु विवाह प्रथा पर रोक लगाए जाने और लिव इन रिलेशनशिप में पंजीकरण के साथ ही सभी कड़े नियम बनाए जा सकते हैं।
तलाक के लिए कानूनी प्रक्रिया अपनाने पर जोर ड्राफ्ट में तलाक देने के लिए कानूनी प्रक्रिया को ही बाध्यकारी किया जा सकता है। तलाक के बाद पत्नी और बच्चों को भरण पोषण के लिए निश्चित धनराशि देना अनिवार्य करने संबंधी नियम बनाए जा सकते हैं। एक तरफा तलाक पर रोक लगाई जा सकती है। हलाला पर भी रोक लगाने की व्यवस्था की जा सकती है।
इसमें सभी धर्मों के लोगों को संपत्ति खरीदने व बेचने की व्यवस्था की जा सकती है। अभी कुछ धर्मों के लिए की गई व्यवस्था के अनुसार एक धर्म के व्यक्ति केवल अपने धर्म के व्यक्तियों को ही जमीन बेच सकते हैं। अन्य धर्मों के व्यक्तियों को जमीन बेचने पर रोक है।
ड्राफ्ट में गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया
ड्राफ्ट में गोद लेने की प्रक्रिया को सरल बनाया जा सकता है। किसी भी धर्म का व्यक्ति अनाथ बच्चे को गोद ले सकता है, बशर्ते वह उसका लालन पालन करने में सक्षम हो। इसके लिए विधिक प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। पुराने कानूनों में संशोधनड्राफ्ट में प्रदेश में लंबे समय से चले आ रहे कानूनों में संशोधन प्रस्तावित माने जा रहे हैं। इनमें भूमि खरीद की व्यवस्था प्रमुख है।
विशेषज्ञ समिति के 13 माह के कार्यकाल में अभी तक 52 बैठकें हो चुकी हैं और समिति को 2.50 लाख से अधिक सुझाव मिले हैं। समिति ने अपने कार्यकाल में विभिन्न धर्मों, समुदाय व जनजातियों के प्रतिनिधियों से मुलाकात करने के साथ ही प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में जाकर स्थानीय व्यक्तियों से भी सुझाव लिए। समिति प्रवासी उत्तराखंडियों के साथ ही सभी राजनीतिक दलों से भी इस संबंध में सुझाव ले चुकी है।
ये हैं समिति के सदस्य
जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई (सेनि) की अध्यक्षता में गठित समिति में जस्टिस प्रमोद कोहली (सेनि), उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह, दून विवि की कुलपति प्रो सुरेखा डंगवाल और सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़ शामिल हैं। समिति के सदस्य सचिव अजय मिश्रा हैं।